नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)। उद्योग जगत ने मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उस निर्णय की सराहना की, जिसमें केंद्रीय बैंक ने अपनी द्विमासिक नीतिगत समीक्षा में प्रमुख दरें यथावत रखने का निर्णय लिया।
नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)। उद्योग जगत ने मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उस निर्णय की सराहना की, जिसमें केंद्रीय बैंक ने अपनी द्विमासिक नीतिगत समीक्षा में प्रमुख दरें यथावत रखने का निर्णय लिया।
उद्योग जगत ने आरबीआई और सरकार से आग्रह किया पिछले महीने घटाई गईं दरों का लाभ देने का दबाव वाणिज्यिक बैंकों पर बनाएं।
आरबीआई ने रेपो दर को यथावत रखा, जो कि 7.75 प्रतिशत है। इस दर पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है।
एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने यहां एक बयान में कहा, “हम इस बात की सराहना करते हैं कि आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन नीतिगत ब्याज दरों पर अपना अगला कदम उठाने से पहले बजट और जीडीपी का इंतजार करना चाहेंगे। लेकिन केंद्रीय बैंक को चाहिए कि वह पहले की गई दर कटौती के लाभ लाभार्थियों को हस्तांतरित करें।”
एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, “बैंकों को हरहाल में निर्देश दिया जाए.. यदि आरबीआई न सही, तो कम से कम वित्त मंत्रालय, सरकार द्वारा बैंकों को कहा जाए।”
मंगलवार को नीतिगत समीक्षा के दौरान सिर्फ अनिवार्य तरलता अनुपात (एसएलआर) में 50 आधार अंक की कटौती की गई, जो अब 21.5 प्रतिशत हो गया है। यह दर सात फरवरी से लागू होगी।
मौद्रिक नीति बयान पर टिप्पणी करते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी ने कहा, “पिछले महीने रेपो रेट में कटौती के बाद आरबीआई ने आज (मंगलवार) एसएलआर में 50 आधार अंकों की कटौती की। यह बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि विकास को गति देने के लिए निवेश जैसे उत्पादक उद्देश्यों के लिए तरलता और कोष उपलब्ध कराया जाए।”
सूरी ने कहा, “सरकार एक तरफ उन बाधाओं को दूर कर रही है जिनके कारण बड़ी परियोजनाएं रुकी हुई हैं और आरबीआई फलदायी उद्देश्यों के लिए अधिक तरलता उपलब्ध करारे हेतु कदम उठा रहा है। ऐसे में हम आशा करते हैं कि विकास दर को आगे बढ़ावा मिलेगा।”
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष अजय एस. श्रीराम ने कहा कि विकास दर और महंगाई की इस पहेली को सुलझाने में आरबीआई का यह निर्णय उसके सजग दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है।
श्रीराम ने हालांकि कहा, “सीआईआई अनिवार्य तरलता अनुपात को 50 आधार अंक घटाने का स्वागत करता है। वित्त प्रणाली में तरलता बढ़ने से आगे ऋण के लिए बैंकिंग क्षेत्र को धन उपलब्ध होगा। इसके बदले निवेश और विकास दर को प्रोत्साहन मिलेगा।”
पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष आलोक बी. श्रीराम ने कहा कि यद्यपि आरबीआई से रेपो दर में कटौती की उम्मीद थी, लेकिन एसएलआर में 50 आधार अंक की कटौती का स्वागत है और आने वाले समय में बैंकिंग क्षेत्र तरलता बढ़ने की उम्मीद की जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय अकाउंटिंग कंपनी केपीएमजी के भारत में साझेदार शास्वत शर्मा ने कहा, “हम आरबीआई के इस सजग दृष्टिकोण का स्वागत करते हैं, जिसके तहत ब्याज दरों में और कटौती करने से पहले वह सरकार द्वारा संरचनागत बदलाव किए जाने का इंतजार करेगा। एसएलआर में कमी से आशा है कि अर्थव्यवस्था में अधिक वृद्धि होगी।”