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 उत्तर प्रदेश: धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत पहला केस पुलिस के दबाव में दर्ज होने का आरोप | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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उत्तर प्रदेश: धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत पहला केस पुलिस के दबाव में दर्ज होने का आरोप

December 6, 2020 12:45 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on उत्तर प्रदेश: धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत पहला केस पुलिस के दबाव में दर्ज होने का आरोप A+ / A-

बरेली- उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से हाल ही में लागू किए गए धर्मांतरण विरोध कानून के तहत पहला मामला बरेली जिले के एक मुस्लिम युवक के खिलाफ दर्ज किया गया है. युवक की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.

अब पीड़ित युवक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि मामला सुलझा लिया गया है, लेकिन लड़की के परिवार ने पुलिस के दबाव में आकर मामला दर्ज कराया है.

28 नवंबर को लागू किए गए उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन विरोधी कानून के 12 घंटों के भीतर ही बरेली में यह मामला दर्ज किया गया था. इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बरेली के इस गांव के प्रधान ध्रुव राज सहित कई लोगों ने केस दर्ज होने को लेकर आश्चर्य जताते हुए कहा कि बीते अप्रैल महीने में हिंदू लड़की की शादी एक अन्य युवक से होने के साथ ही दोनों परिवारों के बीच यह मसला सुलझ गया था.

21 वर्षीय पीड़ित उवैस अहमद के 70 वर्षीय पिता मोहम्मद रफीक ने आरोप लगाया है कि उवैस के बारे में पूछताछ करने को लेकर पुलिस ने उनकी पिटाई भी की है. उवैस उनके 10 बच्चों में सबसे छोटे हैं. उवैस को पुलिस ने बीते दो दिसंबर को गिरफ्तार किया था.

रफीक ने कहा कि लव जिहाद के आरोप न सिर्फ दुखद बल्कि डराने वाले भी हैं.

रफीक ने पुलिस की पिटाई से चोटिल पैर दिखाते हुए कहा, ‘लड़की के परिवार के सदस्य भले लोग हैं और हमारा उनसे कोई विवाद नहीं है. मुझे पता है कि उन्होंने मेरे बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई. पुलिस ने यह एफआईआर प्रशंसा और प्रमोशन के लिए दर्ज किया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘लड़की के पिता मुझसे मिले थे और उन्होंने कहा था कि वह इस मामले में मेरा समर्थन करेंगे.’ उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने मेरी पिटाई की और अब लड़की के परिवारवालों को भी डरा रही है.

लड़की का परिवार उवैस अहमद के घर से 100 मीटर से भी कम दूरी पर रहता है.

पुलिस ने इस बात से इनकार किया है कि धर्मांतरण विरोधी कानून लागू होने के बाद इसके तहत सबसे पहले केस दर्ज करने का उन पर दबाव था. आरोपों से इनकार करते हुए बरेली जिले के डीआईजी राजेश पांडेय ने कहा कि सबूतों के आधार पर कार्रवाई की गई है.

उन्होंने कहा, ‘एफआईआर दर्ज कराने की टाइमिंग महज एक संयोग था. अगर हमें पहले शिकायत मिली होती तो हमने पहले ही केस दर्ज कर लिया होता. कुछ संभावना हो सकती है कि शिकायत 27 नवंबर को आई हो और जब तक मामला दर्ज हुआ हो, यह कानून पारित हो गया.’

पुलिस ने कहा कि लड़की और लड़का पिछले साल अक्टूबर में घर छोड़कर एक दूसरे के साथ चले गए थे. दोनों अपने संबंधों को लेकर दृढ़ थे. आरोपी युवक जब लड़की को तंग करने लगा और उन पर दबाव डालने लगा था तो उसके परिवार ने युवक के खिलाफ केस दर्ज कराया था.

संयोग से पुलिस ने यह स्वीकार किया कि पिछले साल जब लड़की को ढूंढकर गांव वापस लाया गया तो उसने अपने परिवार द्वारा अहमद पर लगाए गए अपहरण के आरोपों से इनकार कर दिया था और इस बात पर जोर दिया था कि वह अहमद से शादी करना चाहती है.

रिपोर्ट के अनुसार, उस समय लड़की की उम्र 17 साल थी. मामले को सुलझा लेने के बाद इसकी अंतिम रिपोर्ट दायर की गई, जिसमें कहा गया कि अहमद के खिलाफ लगाए गए आरोप सही नहीं पाए गए.

वे लोग जिन्होंने नया केस दर्ज होने के पीछे पुलिस का दबाव होने का संदेह है, उनमें गांव के प्रधान ध्रुव राज शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल दोनों परिवारों के बीच मामले को सुलझाने में मदद की थी.

उनके अलावा भाजपा बरेली के जिलाध्यक्ष पवन शर्मा के पिता नवल किशोर शर्मा और नारायण दास नाम के एक व्यक्ति शामिल हैं. कुछ और लोग को भी इस केस पर संदेह है, लेकिन वे रिकॉर्ड पर नहीं आना चाहते हैं.

इस मामले पर ज्यादा कुछ बोलने से इनकार करते हुए प्रधान ध्रुव राज ने कहा कि पुलिस के दबाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उनके गांव से भागने के मामले को सुलझा लिया गया था और दोनों परिवारों के बीच कोई विवाद नहीं था.

नवल किशोर ने दावा किया कि एफआईआर दर्ज करने से एक दिन पहले पुलिस लड़की के पिता को अपने साथ ले गई थी.

उन्होंने कहा, ‘पिछले हफ्ते लड़की का भाई मेरे पास आकर कहा था कि पुलिसवाले उनके पिता को अपने साथ ले गए हैं. मैंने कहा कि मैं मामले में दखल नहीं दे सकता. अगले दिन मुझे पता चला कि लव जिहाद का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज की गई है. बाद में पता चला कि पुलिसकर्मी अहमद के पिता रफीक को अपने साथ ले गए हैं. सवाल है कि लड़की के पिता ने अब एफआईआर दर्ज क्यों कराई?’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ओबीसी बाहुल्य इस गांव में लगभग 10 फीसदी मुस्लिम परिवार हैं. गांव में एक निजी स्कूल के शिक्षक योगेंद्र कश्यप ने कहा कि वे हमेशा सौहार्द्र से रहते आए हैं.

बरेली जिले के देवरनिया पुलिस थाने में 28 नवंबर को दर्ज एफआईआर में लड़की के पिता ने आरोप लगाया है कि उवैस अहमद ने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर और उनके परिवार पर दबाव डालकर उसका धर्म परिवर्तन करने की कोशिश कर रहा था.

अहमद पर नए अध्यादेश के अलावा आईपीसी की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

गांव के नारायण दास ने कहा, ‘गलत हुआ. यह सब पुलिस ने किया है.’ उन्होंने यह भी कहा कि इससे न सिर्फ लड़के की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी, बल्कि मामले में अगर लड़की के ससुरालवाले उतरते हैं तो उसका भी जीवन तबाह हो जाएगा.

दास ने कहा, ‘लड़की के पिता ने मुझे बताया था कि पुलिस ने उन्हें केस दर्ज कराने को लेकर मजबूर किया. पुलिस ने उनसे कुछ कागजात पर हस्ताक्षर भी कराया है और यह भी बताया है कि लोगों से क्या कहना है.’

उनके अनुसार, लड़की पिता ने उनसे बताया है कि अब पुलिस उन पर मीडिया से बात न करने का दबाव डाल रही है. आखिर एक पिता जिसकी बेटी की अब शादी हो चुकी है, वह अब इस तरह का मुद्दा क्यों उठाएगा?’

हालांकि बरेली रेंज के डीआईजी राजेश पांडेय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रथमदृष्टया आरोप सही लगते हैं.

उन्होंने कहा, ‘हां, इस मामले को पिछले साल सुलझा लिया गया था. यह भी पता चला है कि लड़की अभी भी उवैस अहमद के संपर्क में है और जब भी गांव आती है तो उससे मिलती है.’

दोनों के घर छोड़कर जाने के बारे में पांडेय ने कहा कि दोनों को ढूंढने के लिए पुलिस की कई टीमें बनाई गई थीं. पता चला था कि अहमद बिहार में है और लड़की मध्य प्रदेश में. दोनों संदेह से बचने के लिए गांव से अलग-अलग रास्तों पर गए थे. दोनों ने कोलकाता में मिलने की योजना बनाई थी.

डीआईजी पांडेय ने कहा, ‘अपने बयान में लड़की कहती रही कि वह आरोपी से शादी करना चाहती थी. अहमद के परिवार का कहना है कि अगर वह इस्लाम स्वीकार कर लेती है तो वह उसे अपना लेंगे. लड़की सहमत हो गई, लेकिन उसका परिवार राजी नहीं हुआ. मामला पंचायत पहुंचा और तय हुआ कि न तो धर्म परिवर्तन होगा और न ही शादी.’

उन्होंने ने आगे कहा, ‘परिवार के आरोपों के अनुरूप अहमद लड़की से मिलता रहा और उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव डालता रहा. हमें बताया गया कि लड़की के सास-ससुर को भी इसका पता गया है और एफआईआर दर्ज होने से एक दिन पहले उन्होंने लड़की के पिता से कहा था कि वे अब उसे (लड़की) अपने घर पर नहीं रख सकते.’

इन दावों पर कि लड़की के पिता को पुलिस अपने साथ ले गई और लड़के के पिता रफीक की पिटाई की गई. इस पर देवरनिया के एसएचओ दयाशंकर ने कहा कि लड़की के पिता केस दर्ज कराने पुलिस थाने आए थे और अहमद के बारे में जानने के लिए रफीक से पूछताछ की गई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अहमद के खिलाफ केस दर्ज होने के अलावा मुजफ्फरनगर जिले में दो लोगों- नदीम और सुलेमान के खिलाफ भी नए कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.

वहीं एक तीसरी एफआईआर मऊ में 30 वर्षीय शबाब अहमद और उसके सहयोगियों के खिलाफ एक महिला को शादी से कुछ दिन पहले अगवा करने और उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव डालने के लिए दर्ज की गई. शबाब को गिरफ्तार किया जाना अभी बाकी है.

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