देहरादून, 26 मई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के आकंड़ों से पता चला है कि उत्तराखंड में यदि अभी विधानसभा चुनाव हों तो राज्य की 70 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 65 पर जीत दर्ज करेगी। पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 57 सीट जीती थीं।
यह विश्लेषण आम चुनावों पर आधारित है। राज्य में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 2014 के अपने पिछले 55 प्रतिशत वोट शेयर को 61.01 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 57 सीटें जीतकर अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। इस बार भाजपा को लगभग 65 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस से अधिक वोट मिले। भाजपा ने दो से तीन लाख अधिक मतों के अंतर से सभी पांच लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है।
दूसरी ओर कांग्रेस केवल पांच विधानसभा सीटों में भाजपा की तुलना में अधिक वोट जुटाने में सफल हुई। इन विधानसभा सीटों में देहरादून में चकराता और हरिद्वार जिले की भगवानपुर, मंगलौर, पीरनकलियार और ज्वालापुर सीटें शामिल हैं जहां जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते हैं।
आदिवासी क्षेत्र चकराता का प्रतिनिधित्व अभी कांग्रेस राज्य इकाई के प्रमुख प्रीतम सिंह कर रहे हैं।
चुनाव को लेकर भाजपा ने कई मिथक भी तोड़े। उदाहरण के लिए, यह व्यापक रूप से माना जाता था कि अगर बद्रीनाथ मंदिर के कपाट चुनाव के बाद खोले जाते हैं तो टिहरी शाही परिवार का सदस्य चुनाव नहीं जीत सकता।
इस बार कपाट 10 मई को खोले गए और 11 अप्रैल को चुनाव हुआ लेकिन दिवंगत महाराजा मानवेंद्र शाह की बहू महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह ने तीन लाख से अधिक वोटों से टिहरी सीट जीती।
भाजपा ने एक और मिथक तोड़ा जिसके मुताबिक राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी कभी भी सभी पांच लोकसभा सीट नहीं जीतती।
2009 में जब कांग्रेस विपक्ष में थी तब उसने सभी पांचों सीटें जीती थीं। इसी तरह जब राज्य में कांग्रेस सत्ता में थी तब भाजपा ने 2014 में सभी पांचों सीटों पर कब्जा किया था।
राज्य में पहली बार भाजपा के तीन उम्मीदवारों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को तीन लाख से अधिक मतों से हराया।
इनमें राज्य भाजपा प्रमुख अजय भट्ट, तीरथ सिंह रावत और महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह शामिल हैं।
तीरथ सिंह रावत ने भाजपा के दिग्गज नेता बी.सी. खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी को हराया। रावत को 68.25 फीसदी वोट मिले जो राज्य की सभी सोटों में सबसे ज्यादा है।