देहरादून, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तराखंड में भविष्य में अब प्राकृतिक आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सकेगा। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से अब आपदा प्रबंधन के तहत इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम (घटना प्रतिक्रिया प्रणाली) लागू कर दी गई है।
शासन ने इस बाबत मंगलवार को आदेश जारी कर मुख्य सचिव को रिस्पांसिबल ऑफिसर (आरओ) और जिलाधिकारियों को इंसीडेंट कमांडर नामित किया।
आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी के मुताबिक, इस सिस्टम की खूबी यह है कि इसके तहत आपदा के समय तहसील स्तर तक भी राहत अभियान को तुरंत प्रभाव से लागू किया जा सकता है। प्रदेश में अभी तक आपदा प्रबंधन के तहत ‘सेवन डेस्क सिस्टम’ लागू था।
नई व्यवस्था के तहत अपर मुख्य सचिव डिप्टी आर.ओ. नामित किए गए हैं। शासन स्तर पर सचिव आपदा प्रबंधन को इंसीडेंट कमांडर और सभी विभागाध्यक्षों को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
प्रदेश में अब किसी भी आपदा के समय तुरंत अभियान, योजना और परिवहन के स्तर पर योजना के तहत काम किया जा सकेगा। नई व्यवस्था को प्रदेश में लागू किया चुका है। पहले आपदा के समय सेवन डेस्क से जुड़े विभाग पहले से तय भूमिका में अपने काम को अंजाम देते थे।
यह खामी केदारनाथ आपदा से दो साल पहले ही सामने आ गई थी। जून 2011 में रुद्रप्रयाग सहित अन्य कुछ जिलों में हुई मॉक ड्रिल में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इस ओर इशारा करते हुए घटना प्रतिक्रिया प्रणाली लागू करने का सुझाव दिया था।
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमित नेगी ने बताया, “नई व्यवस्था में आपदा के समय तुरंत राहत, बचाव आदि के कामों को अंजाम दिया जा सकेगा। इंसीडेट कमांडर इस व्यवस्था की प्रमुख कड़ी हैं। यह आपदा के स्वरूप पर निर्भर करेगा कि इंसीडेंट कमांडर कौन होगा।”
उनके मुताबिक, बर्ड लू होने पर पशु चिकित्साधिकारी इंसीडेंट कमांडर होगा। बड़ी आपदा में जिलाधिकारी इस दायित्व को निभाएंगे। यह व्यवस्था एक तरह से आपदा से पहले की तैयारी को अंजाम देने, आपदा के समय तैयारी के हिसाब से आपस में तालमेल बनाकर काम करने से संबंधित है।