उत्तराखंड की त्रासदी के दस रोज बाद बुधवार को इलाहाबाद के मांडा इलाके में गंगा में कई शव बहते दिखे। खबर पाकर वहां पुलिस-प्रशासन के अधिकारी पहुंच गए।
ग्रामीणों की मदद से छह शव गंगा से नाव में खींच लिए गए। शव तीन महिला और तीन पुरुषों के हैं। दर्जन भर से ज्यादा शवों को बहकर जाते देखा गया। अनुमान है कि ये शव उत्तराखंड के केदारनाथ में जान गंवाने वाले लोगों के हैं। शवों को सुरक्षित रखकर इस बारे में उत्तराखंड सरकार को खबर दी गई। सभी गंगा घाटों पर शवों को देखकर निकालने के लिए चौकसी बढ़ा दी गई है।
मांडा इलाके के कोठरी घाट पर दिन में करीब 11 बजे लोगों ने कई शव बहते देखे। इस बारे में पुलिस को खबर दी गई। उत्तराखंड की विपदा में सैकड़ों लोगों के गंगा में बहने की आशंका के चलते एलर्ट किया गया था इसलिए मांडा एसओ एसएन तिवारी फौरन घाट पर पहुंच गए।
फिर एसडीएम मेजा डॉ.बीपी मिश्रा, सीओ ज्ञानंजय सिंह भी पुलिस बल के साथ आ गए। पुलिस दल को देख घाट पर मौजूद मल्लाह नाव छोड़ भाग गए। एसडीएम और सीओ ने कोठरी और जेरा घाट पर पुलिस दस्ते को शव निकालने में लगा दिया। मरने वालों की उम्र 45 से 55 वर्ष के बीच की है।
उनमें एक महिला के शरीर पर लाल चुनरी थी जबकि एक पुरुष के शव पर बनियान और पैंट। बाकी शव निर्वस्त्र थे। सीओ मेजा ने बताया कि शवों को एसआरएन अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस में रखा गया है। उनकी तस्वीर भी ली गई है। संदेह तो यही है कि ये शव पिछले दिनों केदारनाथ में बादल फटने पर गंगा में बहे लोगों के हैं।
उत्तराखंड सरकार को भी खबर कर दी गई है ताकि मृतकों की पहचान हो सके। सभी गंगा घाटों पर पुलिस और राजस्व कर्मियों की तैनाती कर दी गई है ताकि उत्तराखंड से बहकर आने वाले शवों को निकाला जा सके।