हालांकि कोमे ने क्लिंटन और उनकी टीम को ‘बेहद लापरवाह’ बताया, क्योंकि विदेश मंत्री के तौर पर क्लिंटन ने अपने काम से जुड़ी जानकारियों को निजी सर्वर पर रखा था।
कोमे ने यहां संवाददाताओं से कहा कि संघीय जांचकर्ता ने पाया कि 52 ईमेल की श्रृंखला के 110 ईमेल जिन्हें भेजा या प्राप्त किया गया था, उसमें ‘गोपनीय जानकारी’ थी। इन 52 ईमेल में आठ मेल में जो भेजे गए थे, उनमें ‘टॉप सीक्रेट जानकारी शामिल थी।’
उन्होंने कहा कि इस बात का कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिला कि क्लिंटन ने या उनके दल ने जानबूझकर कानून तोड़ने की कोशिश की।
कोमे ने कहा, “हमारा निर्णय है कि कोई भी जिम्मेदार अभियोजक इसे मामला नहीं बनाएगा।”
कोमे के मुताबिक, क्लिंटन ने कई सारे सर्वर का विदेश मंत्री रहने के चार सालों के दौरान प्रयोग किया था और उन सर्वर के एडमिनिस्ट्रेटर भी अलग-अलग थे। इसके अलावा उन्होंने ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए कई सारे मोबाइल डिवाइस का इस्तेमाल किया था। इससे जांचकर्ताओं के लिए उन सभी जरूरी जानकारियों को एक जगह जोड़ना और हासिल करना ‘श्रमसाध्य कार्य’ था।
कोमे के मुताबिक, क्लिंटन ने विदेश विभाग के काम से जुड़े लगभग 30,000 ईमेल भेजे थे। लेकिन जांचकर्ताओं को बाद में पता चला कि इसके अलावा भी उनके काम से जुड़ी कई हजार ईमेल थी, जो उन 30,000 ईमेल के समूह का हिस्सा नहीं थी।
कोमे ने कहा, “हमने पाया कि कई हजार ऐसी ईमेल भी हैं, जिसे विदेश मंत्रालय के सामने प्रस्तुत नहीं किया गया था। एजेंसियों ने पाया कि इन ईमेल ने तीन गुप्त स्तर की थी।”
हालांकि कोमे ने कहा कि एफबीआई को इस बारे में कोई सबूत नहीं मिले कि जो कामकाज से जुड़े अतिरिक्त ईमेल थे, उसे किसी कारण से छुपाने के लिए डिलीट किया गया था।
कोमे ने कहा, “हमारा आकलन है कि जैसे सभी ईमेल प्रयोक्ता करते हैं, तत्कालीन विदेश मंत्री क्लिंटन भी समय-समय पर अपने ईमेल डीलीट करती रहती थीं। या फिर जब वे डिवाइस बदल लेती थीं, तो पुराने ईमेल डीलीट कर देती थीं।”