नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। भारी विरोध के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को ईपीएफ संबंधी बजट प्रस्ताव वापस ले लिया, जिसमें एक अप्रैल 2016 के बाद किए गए योगदान से बनने वाले कोष की निकासी के 60 फीसदी हिस्से पर किसी एन्युइटी कोष में निवेश न करने की स्थिति में कर लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था।
जेटली ने लोकसभा में दिए गए बयान में कर्मचारी द्वारा किसी मान्यताप्राप्त भविष्य निधि या सुपरएन्युएटिंग कोष में कर छूट के लिए अधिकतम 1,50,000 रुपये योगदान की सीमा तय करने का प्रस्ताव भी वापस ले लिया।
वित्तमंत्री ने हालांकि कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में 40 फीसदी कर छूट का प्रस्ताव हालांकि कायम है।
इस कदम का लाभ कर्मचारी भविष्य निधि कोष (ईपीएफ) के करीब 45 लाख सदस्यों को मिलेगा, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये से अधिक है। ईपीएफ के शेष 3.26 करोड़ सदस्यों की आय 15,000 रुपये मासिक से कम है, जो जेटली के बजट प्रस्ताव के दायरे में नहीं आ रहे थे।
माना जा रहा है कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर लिया गया था।
जेटली ने कहा, “प्रस्तावित सुधार का मकसद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को इस बात के लिए प्रेरित करना था कि वे सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन सुरक्षा अपनाएं, न कि पूरी राशि भविष्य निधि खाते से निकाल लें।”
उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के तहत 40 फीसदी निकासी को करमुक्त रखा जाना था और उम्मीद की जा रही थी कि शेष 60 फीसदी को नियमित पेंशन के लिए अन्युइटी कोष में जमा किया जाएगा। लेकिन यदि उसे एन्युइटी कोष में जमा नहीं किया जाता तो निकासी के 60 फीसदी हिस्से पर पर कर लगता।
जेटली ने लोकसभा में कहा, “सांसदों सहित समाज के विभिन्न वर्गो के प्रतिनिधियों ने सरकार को सुझाव दिया है कि इस प्रावधान के कारण आम आदमी न चाहते हुए भी एन्युइटी उत्पादों में निवेश करने के लिए बाध्य होंगे।”
उन्होंने कहा, “सुझावों को देखते हुए सरकार इस प्रस्ताव की व्यापक समीक्षा करेगी। इसलिए मैं बजट भाषण के 138वें और 139वें अनुच्छेद में रखे गए प्रस्ताव को वापस लेता हूं।”
बजट भाषण के 138वें अनुच्छेद में कहा गया है, “सुपरएन्युएशन कोषों और ईपीएफ सहित मान्यताप्राप्त भविष्य निधि कोषों के मामले में एक अप्रैल 2016 के बाद किए गए योगदान से निर्मित कोष के 40 फीसदी हिस्से को कर मुक्त रखे जाने का वही प्रावधान लागू होगा।”
अनुच्छेद 139 में कहा गया है, “साथ ही, पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद उसके कानूनी वारिश को मिलने वाले कोष पर सभी तीन मामलों में कर नहीं लगेगा। इसके साथ ही, हम मान्यताप्राप्त भविष्य निधि और सुपरएन्युएशन कोष में कर लाभ के लिए कर्मचारियों के योगदान की सालाना मौद्रिक सीमा 1.5 लाख रुपये रखने का भी प्रस्ताव रखते हैं।”
ईपीएफ एक सामाजिक सुरक्षा योजना है और 20 से अधिक कर्मचारी वाली कंपनियों के लिए इस कोष से जुड़ना अनिवार्य है।
उल्लेखनीय है कि भविष निधि कोष एक निश्चित दर से ब्याज मिलती है, लेकिन पेंशन कोश से मिलने वाला रिटर्न बदलता रहता है, क्योंकि पेंशन कोष में आपके कोष का 50 फीसदी तक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जा सकता है।