रायपुर- इस वर्ष जनवरी का महीना बीतने को है, लेकिन आम के पेड़ में अब तक बौर नहीं लगे हैं। इस कारण इस वर्ष आम के कम उत्पादन की संभावना है। आम फलेगा कम, तो लाजिमी है, काफी महंगा बिकेगा। नर्सरी विशेषज्ञों की मानें तो आम के पेड़ पर फल का उत्पाद सीएन (कार्बोहाइड्रेट और नाइट्रोजन) अनुपात से तय होता है। इस वर्ष ‘एन’ अनुपात सक्रिय होने से आम उत्पादन की संभावना कम है और ‘सी’ अनुपात सुसुप्तावस्था में है, ऐसे में पेड़ पर फल व फूल के लिए अनुकूल प्रक्रिया नहीं चल रही है।
रायपुर के सहायक उद्यानिकी अधिकारी वी.के. गौतम और उद्यान अधीक्षक डी.एस. कुशवाहा ने बताया कि आम के वृक्ष में फलों का लगना और पेड़ का विकास सीएन अनुपात से तय होती है। पिछले वर्ष ‘सी’ अनुपात सक्रिय होने से आम का उत्पादन अच्छा हुआ था, लेकिन इस वर्ष ‘एन’ अनुपात सक्रिय है, जिससे पेड़ों पर बौर नहीं दिख रहा है।
उन्होंने बताया कि कार्बोहाइड्रेट जिस वर्ष सक्रिय होते हैं, उस वर्ष फूल और फल के लिए प्रक्रिया तेजी से होता है। यह प्रक्रिया इस वर्ष पेड़ पर दिखाई नहीं दे रही है। ‘सी’ अनुपात सुसुप्तावस्था में है, जबकि ‘एन’ अनुपात सक्रिय है, जिससे पेड़ में वनस्पति विकास तो हो रहा है, लेकिन फूल नहीं फूट रहे हैं। यही वजह है कि इस साल आम के पेड़ों में फल के उत्पादन कम होने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के बेंद्रानवा गांव में उद्यानिकी विभाग में आम की नर्सरी है। यहां आम के 24 तरह के पेड़ हैं। अधिकांश पेड़ों में इस वर्ष अब तक बौर नहीं लगा है। इस वजह से नर्सरी विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि इस वर्ष आम का उत्पादन कम होगा।
वहीं आम की नर्सरी लगाने वाले सलीम रोकड़िया, अशोक पवार व इंदल सिंह ने बताया कि इस वर्ष उनके भी आम के पेड़ों में अब तक बौर नहीं लगा है।