मुंबई, 19 दिसम्बर – पाकिस्तान के साथ करीबी सांस्कृतिक संबंध रखने वाले बॉलीवुड फिल्म निर्माता महेश भट्ट पेशावर के आतंकवादी हमले में 32 बच्चों की मौत से अत्यंत आहत हैं।
पेशावर के एक स्कूल में मंगलवार को तालिबान आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। इस हमले में 148 लोग मारे गए थे, जिनमें 132 बच्चे शामिल थे। इस हमले को अब तक का सबसे बर्बरतापूर्ण हमला बताया गया है। हमले से पूरा विश्व आक्रोशित है।
भट्ट की मां मुस्लिम थीं। इस समय वह वही महसूस कर रहे हैं जो एक बार रवींद्रनाथ टैगोर ने व्यक्त किया था।
भट्ट ने कहा, “टैगोर एक बार इराक के रेगिस्तानी गांव में एक बेडोइन आदिवासी से मिले, और उससे काफी गहन बातचीत की। उस बेडोइन ने उनसे कहा कि पैगंबर ने सच्चा मुस्लिम उसे बताया है जिसके शब्दों और कर्मो से किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार से हानि न पहुंचे। यहां भाई ही भाई को मार रहा है। ऐसा क्यों है कि एक आस्तिक व्यक्ति ही हत्याएं कर रहा है, नास्तिक नहीं। यह बहुत अजीब बात है।”
पाकिस्तान के भविष्य को लेकर चिंतित भट्ट ने कहा, “पाकिस्तान एक कमजोर राष्ट्र है।”
उन्होंने कहा, “यह एक ऐसे घर की तरह है जो आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से बिखर रहा है। अपने वजूद के लिए लंबे अरसे से यह राष्ट्र संघर्ष कर रहा है। अगर आप पाकिस्तान जाएंगे तो आपको वहां की हवा में एक विलाप सुनाई देगा।”
फिल्म निर्माताओं को लगता है कि इन हालात की वजह से पाकिस्तान के कामकाजी वर्ग को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।
महेश ने कहा, “उन्होंने इसकी कीमत चुकाई है, भारी कीमत चुकाई है। आतंक के खिलाफ उनकी लड़ाई ने उन्हें स्तब्ध और हैरत में छोड़ दिया है। पाकिस्तान में हो रहे आतंकवादी हमलों में कोई एकरूपता नहीं है। मैं हाल ही में पाकिस्तान दिवस के अवसर पर पाकिस्तान गया था। इस अवसर पर मेरे एक मित्र को सम्मानित किया जाना था। मैंने देखा कि वहां जिस किसी को भी सम्मान दिया जा रहा था उनमें से ज्यादातर पुलिसकर्मी थे, जो कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मारे गए। जो भी लोग पुरस्कार ले रहे थे वे आतंकवादी हमलों के शिकार हुए पुलिसकर्मियों की विधवाएं या फिर बच्चे थे।”
उन्होंने पेशावर में हुए हमले की तुलना नाजियों की बर्बरता से की।