ढाका, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामवादी पार्टी के प्रमुख और युद्ध अपराधी मतीउर रहमान निजामी की फांसी की सजा के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर शीर्ष अदालत ने रविवार को सुनवाई तीन मई तक के लिए टाल दी। निजामी 1971 के युद्ध अपराधों के लिए जेल में हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बचाव पक्ष के वकील के बार-बार निवेदन करने पर शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख तीन मई तय की है।
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख निजामी ने 1971 के युद्ध अपराधों के लिए मिली फांसी की सजा के खिलाफ गत 29 मार्च को शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
शीर्ष अदालत ने विगत छह जनवरी को 45 साल पहले स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान युद्ध अपराधों के लिए निजामी (73) को दी गई फांसी की सजा बरकरार रखी थी।
16 मार्च को अदालत के पूरे फैसले जारी होने के कुछ घंटों बाद बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 ने निजामी के खिलाफ मौत का वारंट जारी किया था।
अगर शीर्ष अदालत में उनकी पुनर्विचार याचिका रद्द हो जाती है तो उनके लिए अंतिम विकल्प राष्ट्रपति से दया याचना ही बचेगी।
निजामी की पार्टी ने पहले कहा था कि उनकी पार्टी को नेताविहीन करने के लिए सरकार ने गलत इरादे से उनके नेताओं के खिलाफ आधारहीन मुकदमे दायर किए।
निजामी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के मंत्रिमंडल में 2001 से 2006 के बीच कृषि और उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं। वह जमात के उन बड़े नेताओं में एक हैं जिनके खिलाफ दो युद्ध अपराध न्यायाधिकरणों में मुकदमे चले हैं।
बांग्लादेश में अवामी लीग के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद 1971 के युद्ध अपराधियों को कानून के कटघरे में खड़ा करने के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 2010 में युद्ध अपराध न्यायाधिकरण का गठन किया।
युद्ध अपराध के लिए अब तक जमात के नेताओं अब्दुल कादिर मुल्ला और मोहम्मद कमरुज्जमान को पहले फांसी दी जा चुकी है।
इन लोगों के अलावा जमात के महासचिव अली अहसान मोहम्मद मुजाहिद और विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी(बीएनपी) के नेता सलाउदीन कादर चौधरी को गत साल 22 नवंबर को फांसी दी गई।
जमात और बीएनपी दोनों ने अदालत को सरकारी ‘शो ट्रायल’ कह कर खारिज कर दिया है और कहा है कि यह संयुक्त राष्ट्र की संलिप्तता के बिना घेरेलू व्यवस्था है।