अनिल सिंह (भोपाल)– मध्यप्रदेश के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग में तकनीकी अधिकारीयों और कर्मचारियों ने एक गैंग बना रखा है,चूंकि तकनीकी नियमों से हर व्यक्ति परिचित नहीं होता है अतः इस विभाग के तकनीकी अधिकारी और कर्मचारी अपने विभाग के मुखिया जो भारतीय प्रशासनिक सेवा से आते हैं को गुमराह करते हैं एवं अपनी मन मर्जी चलाते हैं।
विभाग के कर्त्व्यनिष्ठ मुखिया जूझ रहे हैं
इस समय आयुक्त के पद पर हंसमुख,प्रखर एवं तेज अधिकारी श्री गुलशन बामरा विराजित हैं,ये अधिकारी IIT स्नातक हैं,आईएएस हैं कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने और अपनी साफगोई के लिए ये जाने जाते हैं,हमेशा देखने में आता है की यदि कोई आवेदक इनसे मिलने पहुँचता है तो आवेदक की अर्जी पूरी होने से पहले ही ये उसके समाधान में लग जाते हैं और कार्य को अंजाम दे कर ही चैन लेते हैं।
नियम जानने के लिए ये महाशय किसी भी जानकार से जानकारी प्राप्त करने में अपने आप को छोटा नहीं समझते तथा पूरी श्रद्धा से उसकी बात आत्मसात करते हैं।
वर्षों से जमें अधिकारीयों-कर्मचारियों ने अपना गैंग बना रखा है
हमें काफी समय लगा इस पूरी व्यूह रचना को समझने में
मंत्रालय से लेकर आयुक्त कार्यालय,क्षेत्रीय कार्यालयों की ख़ाक छानने के बाद पूरी घेराबंदी समझ में आयी आईएएस अधिकारीयों को पूरी तरह से भ्रमित करने की कार्यशैली अपनाई जाती है और यदि कोई आवाज भी उठाता है तब एक ही स्वर में बोल कर उस आवाज को भी दबा दिया जाता है।
क्या होता है विभाग में
नियमों की अनदेखी करते हुए कार्य कर दिए जाते हैं लेकिन नियम के तहत कार्य नहीं होते,उन्हें लंबित रखा जाता है अधिकारीयों को बेवक़ूफ़ बनाया जाता है और अपना हित साधा जाता है,वरिष्ठ अधिकारी भी सुनने के बाद भी कुछ नहीं करते।
विश्वकर्मा दिवस पर हम इस विभाग के क्रिया कलापों,उसमे पदस्थ अधिकारीयों की करतूतों का चिठ्ठा क्रमिक रूप सामने लायेंगे सबूतों के साथ आप देखिये की हमारे ये चितेरे क्या क्या गुल खिलाते हैं,कौन अधिकारी है जो अपनी तनख्वाह से ज्यादा हवाई यात्राओं में खर्च करते हैं,यदि सेटिंग न हो तो व्यक्ति को दलाल निरूपित कर देते हैं,कौन कौन हैं जो वर्षों से जमे हैं अपनी कुर्सियों पर तथा महराजाओं जैसा विलासी जीवन भोगते हैं,किस कार्यालय में प्राइवेट कर्मी सरकारी फाइलों पर काम करते हैं,दूसरे कर्मियों को महत्वपूर्ण सीटों से अलग रखा जाता है,बिना सरकारी आदेश के किस बजट से कार्यालयों में कैमरे लगे हैं,किस अधिकारी के भतीजे की फैक्ट्री में अधिकारी महोदय का इन्वेस्टमेंट है,किसके कॉलेज निर्माण में किसने धन बरसाया,किस तरह से नियम विपरीत कार्य तुरंत होते हैं एवं अधिकारी घबराते भी नहीं तथा कैसे नियम बद्ध कार्यों को पेंडिंग रखा जाता है।
हम आपके सामने लायेंगे फाइल क्रमांक 91/13 इंदौर की कहानी जिसमे वरिष्ठ एवं सक्षम अधिकारी को किस तरह से भ्रमित कर गलत दिशा दिखाई गयी ,इंजिनीयर्स डे से हम यह शुरुआत कर रहे हैं कल पढ़िए फाइल क्रमांक 91/13 इंदौर की कहानी …………….