नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ में प्रकाशित लेख सही नहीं था.
‘पाञ्चजन्य’ में प्रकाशित लेख से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए सीतारमण ने एक साक्षात्कार के दौरान जवाब देते हुए कहा, ‘वह सही नहीं था और मुझे लगता है कि उन्होंने भी बयान देकर लेख लिखने वाले से दूरी बना ली थी. मुझे लगता है कि इसकी जरूरत नहीं थी और इससे जुड़े लोगों ने खुद को इससे अलग कर दिया था. लेख बिल्कुल भी सही नहीं था.’
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ ने पांच सितंबर के संस्करण में इसे विकसित करने वाली भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस पर ‘साख और आघात’ शीर्षक से चार पृष्ठों की कवर स्टोरी प्रकाशित की थी.
इस लेख पर विवाद मचने के बाद आरएसएस ने खुद को इससे अलग कर लिया था.
आरएसएस के प्रवक्ता सुनील अंबेकर ने ट्वीट कर कहा था, ‘भारतीय कंपनी के नाते इंफोसिस का भारत की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान है. इंफोसिस संचालित पोर्टल को लेकर कुछ मुद्दे हो सकते हैं, परंतु पाञ्चजन्य में इस संदर्भ में प्रकाशित लेख, लेखक के अपने व्यक्तिगत विचार हैं, तथा पाञ्चजन्य संघ का मुखपत्र नहीं है.’
सीतारमण ने कहा कि इंफोसिस और सरकार मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि पोर्टल से संबंधित मुद्दों का समाधान सुनिश्चित किया जा सके.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि सरकार और इंफोसिस मिलकर काम कर रही है. मैंने उन्हें दो बार फोन किया था और नंदन नीलेकणी का ध्यान भी इस ओर आकर्षित किया. वे हमारे साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की भी मदद ली जा रही है. उन्होंने अपने साथ काम करने के लिए कुछ टैक्स विशेषज्ञों को भी बुलाया है.’
बता दें कि आयकर विभाग के नए पोर्टल में शुरुआत से ही दिक्कतें आ रही हैं. आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए इस नए पोर्टल की शुरुआत सात जून को हुई थी.
इसके बाद वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने पोर्टल बनाने वाली इंफोसिस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सलिल पारेख को तलब किया था. पोर्टल के लगातार दो दिन तक बंद रहने के बाद सीईओ को समन भी जारी किया गया था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सलिल पारेख को निर्देश दिया था कि आयकर के इस पोर्टल में आ रही दिक्क्तों को 15 सितंबर तक दूर कर दिया जाए.
इंफोसिस को आयकर दाखिल करने वाली प्रणाली विकसित करने का अनुबंध 2019 में मिला था. जून, 2021 तक सरकार ने इंफोसिस को पोर्टल के विकास के लिए 164.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है.