इंफाल, 1 मई (आईएएनएस)। पोलो की जन्मस्थली माने जाने वाले इंफाल के मारजिंग मंदिर के निकट एक पर्यटन पार्क विकसित किया जा रहा है। राज्य के पर्यटन विभाग ने इस परियोजना के लिए 12 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के हीनगांग से विधायक नोंगथोमबाम बिरेन ने आईएएनएस से कहा कि मंदिर पोलो खेल की जन्मस्थली है जो अब विश्व प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि मारजिंग मंदिर के आसपास तेजी से निर्माण कार्य चल रहे हैं।
बिरेन ने कहा, “पार्क के मध्य में पोलो खिलाड़ी और खास प्रजाति के छोटे घोड़े (पोनी) की विशालकाय प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह वही स्थल है जहां पहली बार पोलो खेला गया था। अंग्रेजों ने मणिपुर में यहीं पोलो खेलना सीखा और उनके जरिए यह खेल दुनिया भर में फैल गया।”
उन्होंने कहा कि लोग यह जानते हैं कि पोलो खेल की शुरुआत मणिपुर से हुई है और स्वभाविक है कि कई लोग यह जानना चाहते हैं कि पहली बार यह खेल राज्य में कहां खेला गया था।
बिरेन ने कहा कि मारजिंग मंदिर में हर रोज भक्त प्रार्थना के लिए आते हैं। एक बार जब यह आधुनिक पार्क बनकर तैयार हो जाएगा तो अधिक संख्या में भक्त और पर्यटक आएंगे। पर्यटन की संभावनाओं के मद्देनजर सरकार ने उदारतापूर्वक धन आवंटित किया है।
बिरेन ने कहा, “पार्क ट्रांस एशियन राजमार्ग के निकट स्थित है। इसका मतलब है कि काफी संख्या में पर्यटक मंदिर और पार्क देखने आएंगे। चूंकि पोलो अब एक अंतर्राष्ट्रीय खेल है, इसलिए स्वाभाविक रूप से बड़ी संख्या में खिलाड़ी और अन्य लोग इस खेल की जन्मस्थली को देखना चाहेंगे।”
उन्होंने कहा कि तय समय सीमा में पार्क का निर्माण और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था हो जाएगी।
पोलो खेल में दिलचस्पी रखने वाले इस बात को लेकर निराश हैं कि मंदिर के निकट छोटे घोड़े (पोनी) के लिए अभयारण्य बनाने की योजना आगे नहीं बढ़ रही है।
सरकार ने मंदिर के आसपास 70 एकड़ खेती की जमीन अधिगृहीत कर छोटे घोड़ों के लिए अभयारण्य बनाने की योजना बनाई थी।
राज्य के उद्योग मंत्री गोविनदास कोंथोजाम ने आईएएनएस से कहा कि अभयारण्य के लिए 78 करोड़ की लागत वाली परियोजना रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास भेजी गई है।
हालांकि केंद्र सरकार ने इस परियोजना को हरी झंडी नहीं दी है। साथ ही जिन धान उत्पादक किसानों की जमीन अधिगृहीत की जा रही है वे भी यहां छोटे घोड़े के लिए अभयारण्य के सरकारी प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
उधर कुछ किसानों ने आईएएनएस से कहा कि वे सरकार की योजना का स्वागत करते हैं, क्योंकि इससे विलुप्तप्राय प्रजाति के छोटे घोड़े के संरक्षण में मदद मिलेगी।
मामले की जानकारी रखने वाले एक किसान ने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार पोनी के प्राकृतिक घर मणिपुर में उनकी संख्या केवल 1100 थी। यह छोटा पर चालाक जानवर दुनिया में और कहीं नहीं पाया जाता है। अगर इनका समुचित संरक्षण नहीं किया गया तो ये जल्द विलुप्त हो जाएंगे।
लेकिन, किसानों ने कहा कि अभयारण्य का निर्माण धान के खेतों से दूर होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह परियोजना को लेकर आशावान बने हुए हैं। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री महसूस करते हैं कि ‘धीरे-धीरे किसानों को सदबुद्धि आएगी। ‘
मुख्यमंत्री चाहते हैं कि अभयारण्य का निर्माण पोलो के जन्मस्थल मंदिर के निकट होना चाहिए। लेकिन, हीनगांग के किसान इसे मानने के लिए तैयार नहीं हैं।