नई दिल्ली, 6 फरवरी (आईएएनएस)। इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएसएसडीए) ने केंद्र सरकार से इंडोनेशिया से स्टेनलेस स्टील के फ्लैट उत्पादों के आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी (एडीडी)/ काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लगाने की मांग की है।
उद्योग संगठन ने कहा कि चीन के उत्पादकों द्वारा इंडोनेशिया में लगातार क्षमता विस्तार के कारण इंडोनेशिया से भारत में स्टेनलेस स्टील के आयात में भारी इजाफा हुआ है, जिससे घरेलू उद्योग के लिए खतरा पैदा हो गया है।
आईएसएसडीए ने एक विज्ञप्ति के जरिए बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 में इंडोनेशिया से स्टेनलेस स्टील का आयात 8,000 टन था जो 2018-19 में बढ़कर 67,000 टन (वार्षिक आधार) हो गया, जिससे घरेलू उद्योग पर संकट छा गया है।
आईएसएसडीए के अध्यक्ष के.के. पाहुजा ने कहा, “इंडोनेशिया में चीन की कंपनियों के निवेश को उनकी सरकार से सब्सिडी मिल रही है जो विदेशी बाजारों में विस्तार के लिए दी जाती है। उन्हें इंडोनेशियाई सरकार से भी भारी पैमाने पर सब्सिडी मिलती है ताकि ज्यादा निवेश आकर्षित किया जा सके। इंडोनेशिया में घरेलू मांग की कमी के कारण अतिरिक्त उत्पादन भारत जैसे प्रगतिशील बाजार में बड़े पैमाने पर डंप किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “भारत सरकार को इंडोनेशिया से स्टेनलेस स्टील के फ्लैट उत्पादों के आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी (एडीडी)/ काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लगानी चाहिए, ताकि इंडोनेशिया के रास्ते स्टेनलेस स्टील के आयात पर प्रतिबंध लगे। घरेलू उद्योग की सेहत सुधारने के लिए सरकार को यह कदम उठाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के प्रावधानों का दुरुपयोग किया जा रहा है। चीन से इंडोनेशिया में निर्यात किए गए कोल्ड-रोल्ड स्टेनलेस स्टील मामूली मूल्यवर्धन जैसे कम चौड़ाई में काटने आदि के बाद भारत में निर्यात कर दिया जाता है। इसके अलावा शुल्क दर से बचने के लिए इंडोनेशिया, चीन से हॉट-रोल्ड स्टेनलेस स्टील कॉयल आयात करता है और फिर इसी को कोल्ड-रोल्ड स्टेनलेस स्टील कॉयल में तब्दील कर देता है।
उन्होंने कहा, “एफटीए के प्रावधानों के मुताबिक निर्यातक देश में शुल्क सब हेडिंग (छह अंकों में सीटीएसएच) में बदलाव और निर्यातक देश में 35 फीसदी मूल्यवर्धन आवश्यक है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ हॉट रोल्ड से कोल्ड रोल्ड में तब्दील करने से 35 फीसदी मूल्यवर्धन नहीं हो सकता। इसके अलावा चीन से सीधे वस्तु आयात पर लागू 18.95 फीसदी सीवीडी को भी दरकिनार किया जा रहा है। इससे भी सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है।”