नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। पिछले कुछ दिनों से चर्चा में रहे इंटरनेट निरपेक्षता से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं :
– ‘इंटरनेट निरपेक्षता’ शब्द अमेरिकी विद्वान टिम वू ने 2003 में अपने शोध पत्र ‘नेटवर्क निरपेक्षता, ब्रॉडबैंड पक्षपात’ में गढ़ा था। उन्होंने इस अवधारणा का प्रचार-प्रसार किया।
– इंटरनेट निरपेक्षता का मतलब क्या है? इसका मतलब यह है कि सरकार और इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां इंटरनेट पर सभी डाटा के साथ समान व्यवहार करेंगी। इसलिए उपयोगकर्ताओं, सामग्री, प्लेटफार्म, वेबसाइट, एप्लीकेशन या संचार के विभिन्न रूपों से अलग-अलग प्रकार के शुल्क नहीं लिए जाएंगे।
– इंटरनेट निरपेक्षता का लाभ किसे मिलेगा। उपभोक्ताओं को।
– भारत में इस पर बहस कैसे शुरू हुई? भारती एयरटेल ने 2014 के आखिर में स्काईप और वाइबर (जिन्हें ओवर द टॉप सेवा भी कहा जाता है) के उपयोग के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने की घोषणा की थी। इसका व्यापक विरोध हुआ और कंपनी ने आखिरकार अपना फैसला वापस ले लिया।
– फरवरी 2015 में अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने इंटरनेट डॉट ऑर्ग के वैश्विक डिजिटल समावेशी पहल के जरिए ग्राहकों को मुफ्त डाटा और वेबसाइट उपयोग की सुविधा देने के लिए फेसबुक के साथ एक समझौता किया।
– अप्रैल 2015 में भारती एयरटेल ने एयरटेल जीरो लांच किया। इसके जरिए ग्राहक बिना डाटा शुल्क चुकाए मोबाइल एप्लीकेशनों का उपयोग कर सकते हैं।
– केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोमवार को कहा कि इस मुद्दे पर विचार कर रही एक समिति मई के दूसरे सप्ताह में एक रपट सौंपेगी, जो सरकार को इस मुद्दे पर व्यापकता के साथ फैसला लेने में मदद करेगी।
– मार्च 2015 में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने एक परामर्श पत्र जारी कर देश में ओवर द टॉप सेवाओं को नियमित करने के तरीके पर उपयोगकर्ताओं और कंपनियों से राय मांगी, जिसे भेजने की अंतिम समय सीमा 24 अप्रैल और विभिन्न तर्को के विरुद्ध तर्क प्रस्तुत करने की अंतिम समय सीमा आठ मई, 2015 रखी गई है।
– ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने 14 अप्रैल, 2015 को इंटरनेट निरपेक्षता के व्यापक मुद्दे के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए एयरटेल जीरो से अलग होने की घोषणा की।
– भारती एयरटेल ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि एयरटेल जीरो की सेवा को लेकर भ्रम मौजूद है। यह शुल्क वाली योजना नहीं है। यह एक खुला विपणन प्लेटफार्म है, जो किसी भी एप्लीकेशन या सामग्री प्रदाता को अपनी सेवा टोल-फ्री आधार पर एयरटेल नेटवर्क के ग्राहकों को देने में मदद करता है।
– इंटरनेट निरपेक्षता का पक्ष लेते हुए फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने 15 अप्रैल, 2015 को कहा कि इंटरनेट डॉट ऑर्ग और इंटरनेट निरपेक्षता दोनों साथ-साथ काम कर सकते हैं। 17 अप्रैल, 2015 को उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने नि:शुल्कता की आलोचना करते हुए कहा है कि कुछ सेवाएं मुफ्त पेश करना इंटरनेट निरपेक्षता की अवधारणा के विरुद्ध है। उन्होंने इसके विरोध में कहा, “मैं इस अवधारणा को सही नहीं मानता हूं।”
– 15 अप्रैल, 2015 को टाइम्स समूह ने कहा कि वह इंटरनेट डॉट ऑर्ग से अलग होने के लिए कटिबद्ध है और उसने साथी प्रकाशकों से भी इंटरनेट निरपेक्षता का साथ देने की अपील की।