नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने लोगों की उम्मीदों के अनुरूप मंगलवार को अपनी छठी द्विमासिक नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। उद्योग जगत ने आरबीआई के इस निर्णय की सराहना की है।
आरबीआई के उप गवर्नर ऊर्जित पटेल ने आरबीआई के इस ताजा कदम को महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि करार दिया, जिसने विश्लेषकों के सामने उलझन पैदा कर दी है कि यह तेजतर्रार रुख है या हैरान करने वाला।
राजन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में नीतिगत समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा, “हमने ब्याज दरों पर यथा स्थिति बनाए रखी है। हमने अन्य मोर्चो पर कदम उठाए हैं।”
राजन ने कहा कि ब्याज दरों को यथावत इसलिए रखा गया, क्योंकि पिछले एक महीने से महंगाई और औद्योगिक उत्पादन पर कोई नया आंकड़ा सामने नहीं आया है।
उन्होंने कहा, “हम अधिक आंकड़े और राजकोषीय घटनाक्रम का इंतजार करेंगे और उसके बाद कोई निर्णय लेंगे।”
उन्होंने कहा, “मौद्रिक नीति समीक्षा एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। आप हर 15 दिन बाद मुझसे नहीं पूछ सकते हैं कि आप कब ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं। हमारा बजट आने वाला है। महंगाई के आंकड़े भी आने वाले हैं।”
आरबीआई ने रेपो दर को अपरिवर्तित रखते हुए उसे 7.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रिवर्स रेपो दर को 6.75 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है।
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर और बैंक दर 8.75 प्रतिशत बरकरार रखी गई हैं।
आरबीआई ने इससे पहले 15 जनवरी को रेपो दर में 0.25 आधार अंक की कटौती की थी, जिसके बाद रेपो दर 8 प्रतिशत से घट कर 7.75 प्रतिशत हो गई थी।
हालांकि आरबीआई ने वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में कटौती की है। एसएलआर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की गई है, जिसके बाद यह दर घट कर 21.5 प्रतिशत हो गई है। एसएलआर की यह घटी हुई दर सात फरवरी, 2015 से लागू होगी।
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) बिना किसी बदलाव के चार प्रतिशत पर यथावत रखा गया है।
आरबीआई ने उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत विदेशी मुद्रा विप्रेषण के लिए योग्यता सीमा भी घटाई है।
राजन ने कहा, “बाहरी क्षेत्रों के परिदृश्य की समीक्षा के आधार पर और व्यापक प्रूडेंशियल प्रबंधन के रूप में आरबीआई ने एलआरएस के तहत सीमा बढ़ा कर प्रतिवर्ष 250,000 डॉलर प्रति व्यक्ति कर दी है।”
राजन ने कहा कि अपस्फीति, तेल कीमतों में गिरावट से वास्तविक आय में वृद्धि, सहज वित्तीय हालात और अवरुद्ध परियोजनाओं में कुछ प्रगति के कारण विकास परिदृश्य थोड़ा सुधरा है।
उन्होंने नीतिगत बयान में आगे कहा, “ये स्थितियां निजी खपत मांग बढ़ाने के लिए शुभ होंगी, लेकिन कमजोर वैश्विक विकास परिदृश्य और अल्पकालिक वित्तीय घाटे से विकास दर पर आंशिक रूप प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।”
आरबीआई ने 2014-15 में 5.5 प्रतिशत के पुराने जीडीपी आंकड़ों के अनुसार विकास के अपने अनुमान को यथावत रखा है।
वहीं उद्योग जगत ने आरबीआई के निर्णय की सराहना की है।
एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने यहां एक बयान में कहा, “हम इस बात की सराहना करते हैं कि आरबीआई के गवर्नर नीतिगत ब्याज दरों पर अपना अगला कदम उठाने से पहले बजट और जीडीपी का इंतजार करना चाहेंगे।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी ने कहा कि यह बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि विकास को गति देने के लिए निवेश जैसे उत्पादक उद्देश्यों के लिए तरलता और कोष उपलब्ध कराया जाए। वहीं भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष अजय एस. श्रीराम ने कहा कि विकास दर और महंगाई की इस पहेली को सुलझाने में आरबीआई का यह निर्णय उसके सजग दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है।
पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष आलोक बी. श्रीराम ने कहा कि एसएलआर में 50 आधार अंक की कटौती का स्वागत है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय अकाउंटिंग कंपनी केपीएमजी के भारत में साझेदार शास्वत शर्मा ने कहा कि एसएलआर में कमी से आशा है कि अर्थव्यवस्था में अधिक वृद्धि होगी।”