मुंबई, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा के दौरान मंगलवार को अनुमान के मुताबिक मुख्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया।
मुंबई, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा के दौरान मंगलवार को अनुमान के मुताबिक मुख्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक के दौरान रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात को अपरिवर्तित रखते हुए उन्हें मौजूदा स्तरों पर बरकरार रखा है।
उन्होंने सामान्य मानसून रहने का हवाला देते हुए मौजूदा वित्त वर्ष में देश की विकास दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया। उन्होंने अगस्त तक महंगाई दर में लगभग चार प्रतिशत तक कमी आने की वजह से इस साल के अंत तक महंगाई दर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जाहिर किया।
राजन ने कहा कि आरबीआई ने जनवरी से एक उदार नीति अपना रखी है, ताकि बाजार में तरलता बनी रहे। उन्होंने कहा, “आगे भी मौद्रिक नीति का रुख उदार रखा जाएगा। लेकिन मौद्रिक नीतिगत गतिविधियां आगामी आंकड़ों के आधार पर तय होंगी।”
राजन ने कहा, “मौद्रिक संचरण के लिए ऋण दरों को नीतिगत दरों के प्रति कमतर रहने की जरूरत है। राजन को देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होने का भरोसा है, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में। उन्होंने वाणिज्यिक बैंकों को अपने अनुसार नीतियां तय करने को कहा।
उन्होंने कहा कि देश का विकास दर परिदृश्य धीरे-धीरे सुधर रहा है। देश में सहज नकदी उपलब्ध होने से बैंक नीतिगत दरों में कटौती का लाभ अपनी ऋण दरों के रूप में ग्राहकों को दे सकेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों की माली हालत में सुधार होगा।
रेपो दर 7.5 प्रतिशत पर और रिवर्स रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है। वहीं, नकद आरक्षित अनुपात को चार प्रतिशत और वैधानिक तरलता अनुपात को 21.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है।
रेपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी कम अवधि की जरूरतों को पूरी करने के लिए रिजर्व बैंक से ऋण लेते हैं। रिवर्स रेपो दर वह ब्याज दर है, जो रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनकी जमा राशि पर देता है।
सीआरआर और एसएलआर वह अनिवार्य राशि है, जिसे वाणिज्यिक बैंक ग्राहकों को ऋण देने से पहले सरकारी बांड या सोने के रूप में अपने पास रखते हैं। इन दरों में बदलाव से ऋण देने के लिए बैंकों के पास उपलब्ध धनराशि पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
आरबीआई ने 15 जनवरी और चार मार्च को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। रिवर्स रेपो दर में भी समान 0.25 प्रतिशत अंकों की कटौती की गई थी। नकद आरक्षित अनुपात में 2013 से कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि आरबीआई ने फरवरी 2015 में एसएलआर में 50 प्रतिशत अंकों की कटौती की थी।
जनवरी और मार्च में जब आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की थी, तब बैंकों ने अपनी आधार दरें नहीं घटाई थी।
आरबीआई के इस कदम के बाद बाजारों में नकारात्मक रुझान देखा जा रहा है।
इस खबर के तुरंत बाद बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों वाले संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में 150 अंकों की गिरावट देखी गई।
सेंसेक्स मंगलवार को 28,582.33 पर खुला। सेंसेक्स दोपहर 12 बजे 150.64 अंकों यानी 0.53 प्रतिशत की गिरावट के साथ 28,353.82 पर कारोबार कर रहा था, जबकि कल (सोमवार) को सेंसेक्स 28,504.46 पर बंद हुआ था।