नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिशेष के संबंध में केंद्रीय बैंक की आर्थिक पूंजीगत रूपरेखा (ईसीएफ) पर सिफारिश देने के लिए बिमल जालान की अगुवाई में गठित समिति इस महीने के आखिर में अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
समिति के अध्यक्ष बिमल जालान ने बुधवार को कहा कि इस महीने एक बार फिर समिति की बैठक होगी और उम्मीद है कि जून के अंत तक समिति अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि समिति की दिन में बैठक हुई और आरबीआई के अधिशेष के प्रमुख मसले को लकर समिति के सदस्यों में मतभेद है, जिसके चलते फैसले में विलंब होगा, लेकिन अगली बैठक में मतभेद थोड़ा दूर हो सकता है।
बैठक के बाद जालान ने यहां संवाददाताओं को बताया, “यह रिपोर्ट अंतिम नहीं है और इस पर एक और बैठक होगी। उम्मीद है कि हम इस महीने के आखिर में रिपोर्ट सौंपेंगे।”
आरबीआई ने अपनी आर्थिक पूंजी रूपरेखा की समीक्षा के लिए पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर जालान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
छह सदस्यीय इस समिति में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन समिति के उपाध्यक्ष हैं और समिति में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य भारत दोषी, सुधीर मांकड़ और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एन. एस. विश्वनाथन सदस्य हैं।
सूत्रों ने बताया कि समिति के कुछ सदस्य चरणबद्ध ढंग से आरबीआई के अत्यधिक आरक्षित कोष को कम करने के पक्ष में हैं, लेकिन सरकार को धन का हस्तांतरण करने के पक्ष में नहीं हैं। इस प्रकार यह प्रस्ताव सीधे तौर पर सरकार के प्रतिनिधियों की राय के विरुद्ध है।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के कार्यकाल के आखिर में आरबीआई और सरकार के बीच टकराव के केंद्र में वित्त मंत्रालय का वह प्रस्ताव था, जिसमें केंद्रीय बैंक की कुल 9.89 लाख करोड़ रुपये की आरक्षित निधि का एक-तिहाई से अधिक 3.6 लाख करोड़ रुपये राजकोष में हस्तांतरित करने की मांग की गई थी।