आरबीआई ने अपनी क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान कर दिया है। आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। लिहाजा रेपो रेट अब 8 फीसदी पर बरकरार है। वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 7 फीसदी पर कायम है। साथ ही आरबीआई ने सीआरआर में भी कोई बदलाव नहीं किया है और ये 4 फीसदी पर स्थिर है।
. आरबीआई ने 7 और 14 दिन के टर्म रेपो से मिल रहे नकदी को बढ़ाकर डिपॉजिट का 0.75 फीसदी कर दिया है। वहीं दैनिक रेपो से मिल रहे नकदी को घटाकर डिपॉजिट का 0.25 फीसदी कर दिया है। आरबीआई की अगली क्रेडिट पॉलिसी 3 जून को आएगी।
. आरबीआई के मुताबिक उसका जोर महंगाई घटाने पर होगा। जनवरी तक महंगाई दर को 8 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है। वहीं वित्त वर्ष 2015 में ग्रोथ 5-6 फीसदी के दायरे में रहेगी। आरबीआई का कहना है कि साल के आखिर में बैंकों की तरफ से कारोबार बढ़ाकर दिखाने के कोशिश पर आरबीआई रोक लगाएगा। नए बैंक लाइसेंस देने के बाद आरबीआई ऑन टैप लाइसेंस पर काम करेगा। वहीं डिफरेंशियल बैंक लाइसेंस पर भी काम होगा और बैंकों के बीच विलय को भी मौका दिया जाएगा।
. आरबीआई का मानना है कि प्रोफेशनल फोरकास्टर्स सर्वे के तहत 2014-15 में रिकवरी की उम्मीद है। 2014-15 में ग्रोथ 5.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। रिटेल मंहगाई का अनुमान 8.5 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी किया गया है। करेंट अकाउंट घाटा 2.4 फीसदी रहने की उम्मीद है।
. आरबीआई के मुताबिक कमोडिटी के कीमतों में नरमी से महंगाई बढ़ने का जोखिम घटा है। लेकिन दिसंबर के बाद महंगाई बढ़ने का डर है। खाने-पीने की चीजों की महंगाई आने वाले महीनों में बढ़ सकती है। मंडियों में कीमतें बढ़ने लगी हैं, तो पेट्रोल-डीजल समेत बिजली के दाम और बढ़ाना जरूरी हैं।
. महंगाई दर घट रही है, लेकिन ये अब भी आरबीआई के अनुमान से ज्यादा है। ग्रोथ पर दबाव बरकरार है, लेकिन ब्याज दरें घटाकर ग्रोथ बढ़ाने से महंगाई बढ़ने का डर है। इकोनॉमी में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं, सर्विस सेक्टर में बढ़त के संकेत हैं। जुलाई-सितंबर 2013 में नए नौकरियों की तादाद बढ़ी है, तो तीसरी तिमाही में कंपनियों का निवेश बढ़ा है।