नई दिल्ली, 6 नवंबर – केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने यहां गुरुवार को कहा कि भारत में आयुर्वेदिक दवाइयों के परीक्षण को सुविधाजनक बनाने के लिए विशेष औषधि नियंत्रण विभाग गठित किया जाएगा। हर्षवर्धन ने आरोग्य एक्स्पो के उद्घाटन के मौके पर कहा कि यह विभाग आयुर्वेदिक दवाइयों के शोध व विकास, गुणवत्ता नियंत्रण की निगरानी और इसके उत्पादन के मानक तय करने का काम करेगा और इसके अतिरिक्त यह पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणाली के क्षेत्र में भी काम करेगा।
उन्होंने कहा कि नवसृजित आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक तरीके से उपचार, यूनानी, सिद्ध और होमियोपैथी) मिशन के अंतर्गत सरकार उन राज्यों को धन मुहैया कराएगी जो दवाइयों के उत्पादन के केंद्र स्थापित करना चाहते हैं। सरकार औषधि उद्योग के लिए कामगार उपलब्ध कराएगा।
मंत्री ने कहा, “इस मिशन का मुख्य उद्देश्य आधुनिक दवाइयों को आयुष के साथ जोड़ने में प्रोत्साहित करना और समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाना है जो विश्व के साथ बराबरी कर सके और जो वैश्विक स्वास्थ्य के लक्ष्य को हासिल कर सके।”
सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के आयुष मिशन में 5,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार शोध और विकास केंद्र, दवाइयों की जांच के प्रयोगशाला और हर्बल बगान तैयार करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करना चाहती है। इससे बढ़ते उद्योग और बाजार की गुणवत्तायुक्त कच्चे माल और उत्पाद की मांग पूरी करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “विश्वभर में लोग एकीकृत और समग्र विकास की बात कर रहे हैं। योग 21वीं सदी की सबसे कारगर उपाय साबित होगी। इस वजह से हमने आयुष मिशन की शुरुआत की है।”
उन्होंने कहा कि छठे विश्व आयुर्वेद सम्मेलन और आरोग्य एक्स्पो का लक्ष्य आयुर्वेद को स्वास्थ्य सेवा की मुख्यधारा में लाना है और इसे सुरक्षित सस्ती चिकित्सा सेवा के रूप में प्रचारित करना है।