Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 आयुध फैक्टरी के ख़राब गोला-बारूद के कारण 2014 से अब तक 960 करोड़ रुपये का नुकसान: सेना | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

Home » ख़बरें अख़बारों-वेब से » आयुध फैक्टरी के ख़राब गोला-बारूद के कारण 2014 से अब तक 960 करोड़ रुपये का नुकसान: सेना

आयुध फैक्टरी के ख़राब गोला-बारूद के कारण 2014 से अब तक 960 करोड़ रुपये का नुकसान: सेना

September 30, 2020 8:34 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on आयुध फैक्टरी के ख़राब गोला-बारूद के कारण 2014 से अब तक 960 करोड़ रुपये का नुकसान: सेना A+ / A-

नई दिल्ली- भारतीय सेना की एक आधिकारिक सिफारिशी रिपोर्ट में इस बात की ओर इशारा किया गया है कि 2014 के बाद से आयुध कारखानों द्वारा खराब गुणवत्ता के रक्षा उपकरणों की उत्पादन के कारण सरकारी खजाने को अनुमानित रूप से लगभग 960 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस रिपोर्ट पर पिछले एक साल से रक्षा मंत्रालय के साथ चर्चा चल रही है और इस पैसे का इस्तेमाल हॉवित्जर जैसी 155 एमएम की 100 मीडियम आर्टिलरी गन खरीदने में किया जा सकता था.

बता दें कि 19 हजार करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर वाले ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास गोला-बारूद बनाने वाली कुल 41 फैक्ट्रियां हैं, जो 12 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना को गोला-बारूद की आपूर्ति करती हैं.

इस साल जुलाई तक अपडेटेड इस हालिया रिपोर्ट में सेना ने आयुध फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण की सिफारिश की है.

सेना की यह सिफारिश ओएफबी के तहत आने वाली 41 आयुध फैक्टरियों, 13 विकास केंद्रों और नौ शिक्षण संस्थानों के निगमीकरण की सरकार की योजना के अनुसार है.

बता दें कि केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 16 मई को आयुध फैक्टरी बोर्ड के निगमीकरण की घोषणा की थी.

केंद्र सरकार ने आयुध फैक्टरी बोर्ड के निगमीकरण की प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) का गठन भी किया है.

इस मंत्री समूह में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार और केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह भी हैं.

ईजीओएम कर्मचारियों की विभिन्न श्रेणियों से संबंधित मामले और मौजूदा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की सुरक्षा से संबंधित मामले देखेगा.

11 सितंबर को गठित ईजीओएम यह भी तय करेगा कि आयुध फैक्टरी बोर्ड को एकल या एकाधिक सरकारी स्वामित्व वाली कॉरपोरेट संस्थाओं में परिवर्तित किया जाए या नहीं.

रिपोर्ट के अनुसार, कई कर्मचारी संगठनों ने इस कदम का विरोध किया है और 12 अक्टूबर से देशव्यापी हड़ताल की धमकी दी है.

सेना की रिपोर्ट में यह कहा गया कि उल्लिखित 960 करोड़ रुपये में से अप्रैल 2014 और अप्रैल 2019 के बीच 658.58 करोड़ रुपये के गोला-बारूद और मई 2016 से 303.23 करोड़ रुपये की माइंस का निपटान उनके इस्तेमाल किए जा सकने की अवधि के दौरान ही किया गया था.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘जवाबदेही की कमी और उत्पादन की गुणवत्ता खराब के कारण लगातार दुर्घटनाएं होती हैं. इससे सैनिक घायल होते हैं और उनकी मौत होती हैं. प्रति सप्ताह औसतन एक दुर्घटना होती है.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से आयुध फैक्टरी बोर्ड निर्मित गोला-बारूद और हथियारों के कारण दुर्घटनाओं में 27 सैनिकों और नागरिकों की जान चली गई और 159 लोग घायल हुए हैं.

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2014 और 2019 के बीच ऐसी 403 दुर्घटनाएं हुईं. सबसे अधिक 267 दुर्घटनाएं पैदल सेना से संबंधित हैं. 87 दुर्घटनाएं तोपों से संबंधित हैं जबकि बख्तरबंद कोर में 44 और वायु रक्षा में 15 दुर्घटनाएं हुईं.

रिपोर्ट के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब सेना ने आयुध फैक्टरी बोर्ड के तहत आपूर्ति पर सवाल उठाए हैं.

इस साल की शुरुआत में एक आंतरिक मूल्यांकन ने उल्लेख किया था कि सेना के लिए आयुध फैक्टरी बोर्ड के कारखाने हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति का मुख्य स्रोत हैं, यहां के उत्पादों की गुणवत्ता में किसी भी गिरावट का देश की युद्ध क्षमता पर बड़ा असर पड़ता है.

सेना की हालिया सिफारिश के समान आकलन में पाया गया था कि 2014 के बाद से औसतन हर 5.5 दिन या सप्ताह में एक बार गोला-बारूद-संबंधी दुर्घटना हुई है.

इसमें उल्लेख किया गया था कि दुर्घटनाएं मुख्य रूप से खराब गोला-बारूद, खराब आयुध और चालक दल द्वारा उपकरण को संचालित करने के दौरान खराब ड्रिल्स या भंडारण की स्थिति में कमियों के कारण होती हैं.

बयान में कहा गया, ‘दुनियाभर की आधुनिक सेनाओं में अलग-अलग दुर्घटनाएं होती हैं और भारतीय सेना को मुख्य रूप से दोषपूर्ण गोला-बारूद के कारण नियमित दुर्घटनाओं के गंभीर मुद्दे का सामना करना पड़ता है.’

इसने दुर्घटनाओं के अलावा गोला-बारूद में दोष और दोषपूर्ण सामग्री का इस्तेमाल, सेना के लिए आवश्यक गोला-बारूद का धीमा विकास और उत्पादन, सेना द्वारा औचक निरीक्षणों के दौरान दिए गए आदेशों पर आयुध फैक्टरी बोर्ड द्वारा कार्रवाई का अभाव, खराब पैकेजिंग शामिल हैं.

आयुध फैक्टरी के ख़राब गोला-बारूद के कारण 2014 से अब तक 960 करोड़ रुपये का नुकसान: सेना Reviewed by on . नई दिल्ली- भारतीय सेना की एक आधिकारिक सिफारिशी रिपोर्ट में इस बात की ओर इशारा किया गया है कि 2014 के बाद से आयुध कारखानों द्वारा खराब गुणवत्ता के रक्षा उपकरणों नई दिल्ली- भारतीय सेना की एक आधिकारिक सिफारिशी रिपोर्ट में इस बात की ओर इशारा किया गया है कि 2014 के बाद से आयुध कारखानों द्वारा खराब गुणवत्ता के रक्षा उपकरणों Rating: 0
scroll to top