नई दिल्ली, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा खराब कर्ज का समाधान करने को लेकर 12 फरवरी को जारी सर्कुलर को निरस्त करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का लाभ संकट में फंसी कई कंपनियों को मिलने वाला है।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुसार, सितंबर 2018 तक करीब 70 ऋणी कंपनियों पर 3.8 लाख करोड़ रुपये का खराब कर्ज था, जिन्हें आखिरकार आरबीआई के 12 फरवरी, 2018 के सर्कुलर के प्रावधानों के नतीजों के रूप में दिवालिया कार्यवाही के लिए सूचित किया जा सकता था।
अदालत के आदेश का हालांकि दबाव वाले खातों के गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए यानी खराब कर्ज) के रूप में वर्गीकरण या बैंकों द्वारा इस खाते को अलग करने की आवश्यकता के प्रावधानों पर कोई प्रभाव नहीं होगा, लेकिन इससे बैंकों को समाधान योजना को अंतिम रूप देने के लिए और अधिक समय और स्वतंत्रता मिल जाएगी।
आरबीआई के सर्कुलर में बैंकों के लिए 2,000 करोड़ रुपये और उससे अधिक के कर्ज के पुनर्गठन या समाधान चूक की तारीख से छह महीने के भीतर शुरू करना अनिवार्य कर दिया गया था। अदालत के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने अपनी कानूनी शक्ति से बाहर जाकर कार्रवाई की थी।
सर्कुलर के अनुसार, 180 दिनों की समाप्ति के बाद चूक करने वाले कर्जदारों के लिए दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) की कार्यवाही का सामना करना अनिवार्य था। शीर्ष अदालत ने इस सर्कुलर को निरस्त कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के सबसे बड़े लाभार्थियों में एक वित्तीय संकट में फंसी कंपनी जेट एयरवेज हो सकती है, जिसपर करीब 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।