नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई बुधवार को स्थगित कर दी।
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने न्यायालय से कहा कि इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने को लेकर निर्वाचन आयोग के समक्ष एक याचिका पर गुरुवार को सुनवाई होने वाली है और इस जनहित याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी, जिसके बाद न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी तथा संगीता ढींगरा सहगल की एक खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख आठ सितंबर मुकर्रर की।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जून महीने में एक विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था, जिसमें आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव के रूप में मान्यता देने की मंजूरी दी गई थी, जिसके बाद उनका भविष्य अधर में लटक गया।
निर्वाचन आयोग ने रुख स्पष्ट करने के लिए विधायकों को 14 जुलाई को बुलाया है।
आप ने उच्च न्यायालय में अपने फैसले का पहले बचाव किया।
उसने एक हलफनामे में कहा, “संसदीय सचिव के प्रावधान से मंत्रियों को लोगों व बाकी विधानसभा से जुड़ने में सहायता मिलेगी और सारा काम सामंजस्यपूर्वक सुनिश्चित होगा।”
फरवरी 2015 में सत्ता में आने के बाद आप सरकार ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति करते हुए कहा कि इससे कार्यो को सुचारूपूर्वक करने में मदद मिलेगी, लेकिन यह स्पष्ट किया कि इसके लिए सरकार से उन्हें अलग से कोई वेतन नहीं मिलेगा।
एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा ने एक जनहित याचिका दाखिल करते हुए इन नियुक्तियों को खत्म करने की मांग की और इसे असंवैधानिक, अवैध व अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया।
याचिका में कहा गया कि केजरीवाल को संसदीय सचिवों को शपथ ग्रहण कराने का कोई अधिकार नहीं है।
इससे पहले पीठ ने सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। उसने कहा था कि इस पर आगे विचार करने की जरूरत है।