अबु धाबी, 17 अगस्त (आईएएनएस)। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने आतंकवाद और कट्टरता के सभी रूपों के खिलाफ मिल कर लड़ने का संकल्प लिया है। इसमें आतंकवाद को सही ठहराने के लिए धर्म का इस्तेमाल करने वालों और दूसरे देशों के खिलाफ आतंकवाद को प्रश्रय देने वालों का विरोध भी शामिल है। इसे पाकिस्तान के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।
अबु धाबी, 17 अगस्त (आईएएनएस)। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने आतंकवाद और कट्टरता के सभी रूपों के खिलाफ मिल कर लड़ने का संकल्प लिया है। इसमें आतंकवाद को सही ठहराने के लिए धर्म का इस्तेमाल करने वालों और दूसरे देशों के खिलाफ आतंकवाद को प्रश्रय देने वालों का विरोध भी शामिल है। इसे पाकिस्तान के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के शहजादे मोहम्मद बिन जायद अल नहयान की वार्ता के बाद जारी साझा बयान में ये बातें कही गई हैं।
दोनों देशों ने चरमपंथ को खारिज करते हुए आतंकवाद के धर्म से संबंध की बात को भी खारिज किया। इसमें कहा गया है कि दोनों देश आतंकवाद को जायज ठहराने के लिए धर्म के इस्तेमाल के प्रयास का, किसी देश द्वारा ऐसी कोशिश करने का, किसी देश के खिलाफ किसी अन्य देश द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिशों का विरोध करते हैं।
संयुक्त बयान के तमाम बिंदुओं को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट के जरिए बताया है। उन्होंने टूगेदरआनटेरर हैशटैग का इस्तेमाल किया है।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में और इस बारे में खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान के बारे में सहयोग बढ़ाएंगे।
दोनों देशों ने कट्टरवाद को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल होने वाले फंड पर निगाह रखने और इससे जुड़ी जानकारियां एक दूसरे को देने पर भी सहमति जताई।
यूएई ने भारत के उस प्रस्ताव पर साथ देने का भी वादा किया जिसमें संयुक्त राष्ट्र में समग्र अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद संधि की बात कही गई है।
दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा, मादक पदार्थो, कालेधन पर लगाम लगाने और प्रत्यर्पण के मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हर छह महीने में मुलाकात करेंगे। दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में भी संवाद होगा।
आतंकवाद पर साझा बयान की बातों से साफ है कि यूएई ने पाकिस्तान के रुख से दूरी बनाई है। इससे दाऊद इब्राहीम जैसे आतंकियों के यूएई के जमीन के इस्तेमाल पर भी अंकुश लगेगा।
दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर समझौता हुआ।
साझा बयान में व्यापार और निवेश का भी काफी जिक्र है। दोनों देशों ने अगले पांच साल में अपने बीच के व्यापार को 60 फीसदी तक बढ़ाने पर सहमति जताई है।
दोनों देशों के बीच निवेश बढ़ाने पर भी समझौता हुआ है। 75 अरब अमेरिकी डालर से यूएई-भारत आधारभूत निवेश फंड बनाया जाएगा। इससे भारत में रेलवे, बंदरगाहों, सड़कों, हवाई अड्डों, औद्योगिक गलियारों का विकास किया जाएगा।
महत्वपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक भागीदारी को बढ़ाने पर भी दोनों देशों में सहमति बनी। भारत में तेल के संरक्षित क्षेत्रों के विकास में यूएई भूमिका निभाएगा।
दोनों देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी सहयोग करेंगे। इनमें उपग्रह प्रक्षेपण भी शामिल है।
परमाणु ऊर्जा के सुरक्षा, सेहत, विज्ञान-तकनीक, कृषि के क्षेत्र में शांतिपूर्ण इस्तेमाल पर भी सहमति बनी।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे को समर्थन देने के लिए यूएई का आभार जताया।
प्रधानमंत्री ने अबु धाबी में मंदिर के लिए जमीन देने पर भी यूएई के शहजादे का आभार जताया।