अनिल
सिंह(भोपाल/सीहोर)– 24 जुलाई 1824 नरसिंहगढ रियासत के कुवंर चैन सिंह जी अपने 43 साथियों जिनमे बहादुर खान,हिम्मत खान आदि शामिल थे अंग्रेजों के 5000 सिपाहियों के साथ लड़ते हुए शहीद हुए थे।आजादी के 66 वर्षों बाद सीहोर के युवा,भारत जोड़ो आन्दोलन के संस्थापक बलवीर तोमर के प्रयासों ने वह कार्य कर दिखाया जो इतनी बड़ी सत्ता के बस में था लेकिन इच्छा शक्ति नहीं थी किसी लाटसाहब की ।
आजादी के बाद इस वीर के सम्मान में कल 24 जुलाई 2013 के दिन प्रथम दफे गार्ड ऑफ ऑनर प्रशासन की तरफ से दिया गया।
इस कार्यक्रम में पत्रकार वेदप्रकाश वैदिक,बलवीर तोमर,मौलाना दानिश सहित सीहोर तथा आस पास के गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
यह स्मारक 15 बीघे जमीन पर बना है,राजपरिवार ने यहाँ समाधि की देख रेख हेतु दो पुजारियों की नियुक्ति की थी और तय किया था की प्रत्येक 6-6 महीने ये पुजारी इस समाधि की पूजा करेंगे और उपरोक्त जमीन पर कृषि कार्य कर अपनी जीविका का निर्वहन करेंगे।
लेकिन कालांतर में इन पुजारियों ने धोखे से जमीन अपने नाम दर्ज करवा ली,पता तब चला जब दोनों में विवाद हुआ,सुनवाई के बाद कलेक्टर ने जमीन पुनः नरसिंहगढ़ राजपरिवार के नाम दर्ज की।वेद प्रकाश वैदिक ने अपने उद्बोधन में कहा की इस अलख को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाना होगा,उन्होंने कहा की ब्रिटिश लाइब्रेरी में यदि इस सम्बन्ध में कोई इतिहास तलाशने जाना चाहेगा तो वे मदद करेंगे।
बलवीर तोमर ने इस अवसर को राजनीतिक कार्यक्रम न निरूपित करने का अनुरोध किया,और वैदिक जी से अनुरोध किया की देश के वीरों की कहानियां नौनिहालों के पाठ्यक्रम में शामिल की जायं ताकि ये प्रेरणा पाते रहें।तोमर ने इस अवसर पर पधारे लोगों को पौधे भेंट किये।
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