नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि सरकार ‘औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान’ (आईटीआई) में निजी क्षेत्र के प्रवेश पर सिर्फ इसलिए प्रतिबंध नहीं लगा सकती, क्योंकि उनका प्रदर्शन खराब है।
राष्ट्रीय राजधानी में ‘बोल्ड फिलांथ्रोपी : हाउ टू एम्प्लीफाई इंपेक्ट’ विषय पर मंत्रालय के सचिव के.पी. कृष्णन ने कहा, “हम आईटीआई में निजी क्षेत्र के प्रवेश पर सिर्फ इसलिए प्रतिबंध नहीं लगा सकते कि उनका प्रदर्शन खराब रहा. योजना उनसे काम कराने की है।”
उनका बयान विपक्ष द्वारा ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ (पीएमकेवीवाई) के खराब प्रदर्शन का दावा करने के बाद आया है। पीमकेवीवाई मंत्रालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख योजना है।
इससे पहले 25 अगस्त को एक अर्थशास्त्री कृष्णन ने कहा था कि निजी आईटीआई सरकारी आईटीआई की अपेक्षा और बुरा काम कर रहे हैं, क्योंकि वहां बेहतर प्रयोगशालाएं और उपकरण नहीं हैं। कृष्णन विश्व बैंक के साथ काम कर चुके हैं।
उसी दिन उन्होंने भारत में निजी क्षेत्र पर ‘कौशल प्रशिक्षण प्रमाणन’ को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया था।
हालांकि सोमवार को सचिव ने जोर दिया कि निजी आईटीआई कौशल और प्रशिक्षण में कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र शिक्षा के क्षेत्र में 50 साल से हैं।
उन्होंने कहा, “रोजगार कौन-सा क्षेत्र उपलब्ध कराने वाला है, निजी क्षेत्र.. आप उन पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते।”
साल 2015 में युवाओं को औद्योगिक प्रशिक्षण देने के लिए पीएमकेवीवाई योजना शुरू की गई थी, ताकि युवा बेहतर कमाई कर सकें। हालांकि जल्द ही इसमें कई त्रुटियां सामने आईं।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) तथा शारदा प्रसाद कमेटी, दोनों ने अपनी रिपोर्ट में योजना को खराब तरीके से लागू करने के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) को जिम्मेदार ठहराया है, तथा रोजगार उपलब्ध कराने के लक्ष्यों को पाने में उसकी असफलता की ओर इशारा किया है।