नई दिल्ली/लखनऊ| दिल्ली पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के एक आतंकवादी को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार कर लिया। यह आतंकवादी 2010 में दिल्ली के जामा मस्जिद बम विस्फोट कांड में कथित रूप से संलिप्त था। यह जानकारी शनिवार को पुलिस ने दी। महाराष्ट्र के पुणे निवासी एजाज शेख (27) को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस की आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने संयुक्त कार्रवाई के तहत शुकवार रात सहारनपुर रेलवे स्टेशन से उसे दबोच लिया।
मुरादाबाद से आने वाली एक ट्रेन से जैसे ही वह उतरा वैसे ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इंडियन मुजाहिदीन का प्रमुख कर्ताधर्ता शेख भारत में गुप्त रूप से अपने संगठन के संचालकों को तकनीक, साजो सामान और हवाला के जरिए धन मुहैया कराता था।
शेख पर सुरक्षा एजेंसियां तीन महीनों से भी ज्यादा समय से नजर रख रही थीं।
एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि उस पर विस्फोट में ‘सक्रिय’ भूमिका निभाने का संदेह है। उन्होंने आगे कहा कि शेख देश में इंडियन मुजाहिदीन की गतिविधियों से घनिष्ठ रूप से जुड़ा रहा है।
दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को शेख को 10 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में सौंप दिया है। एक सत्र न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस को उससे 16 सितंबर तक पूछताछ की इजाजत दी है।
इंडियन मुजाहिदीन के सहसंस्थापक यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद 2013 में नेपाल भागने से पहले वह पुणे के घोरपड़े पथ पर स्थित गैलेक्सी अपार्टमेंट के दूसरे माले पर मकान संख्या 306 में रहता था।
शेख की गिरफ्तारी से पुलिस को 19 सिंतबर 2010 को जामा मस्जिद में हुए धमाके के बाद भेजे गए दो ईमेल और उसी वर्ष 7 दिसंबर को वाराणसी के शीतला घाट पर श्रंखलाबद्ध विस्फोट के रहस्य पर से पर्दा उठाने में मदद मिल सकती है।
विशेष शाखा के विशेष आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव ने कहा, “इंडियन मुजाहिदीन के कई मॉड्यूल को ध्वस्त करने और यासीन भटकल, तहसीन अख्तर, असदुल्ला अख्तर, वकास एवं अन्य शीर्ष आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बावजूद जामा मस्जिद और शीतला घाट पर हुए आतंकवादी हमले के बाद ई-मेल भेजने वाले की पहचान का पता नहीं चल रहा था।”
जांचकर्ताओं का कहना है कि शेख तकनीकी रूप से अत्यंत संपन्न है और राष्ट्रीय मीडिया तक इंडियन मुजाहिदीन के संदेश पहुंचाने के बाद कोई सबूत नहीं छोड़ता है।
उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करते हुए शेख ने जामा मस्जिद हमले के बाद राष्ट्रीय मीडिया को ई-मेल भेजकर दावा किया था कि यह इंडियन मुजाहिदीन का काम है और यह 19 सितंबर 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ का बदला लेने के लिए अंजाम दिया गया है। जामिया नगर में हुई इस मुठभेड़ में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे जबकि दो अन्य मोहम्मद सैफ और जीशान को गिरफ्तार किया गया था। अर्ज खान मौके से भागने में कामयाब रहा था।
ई-मेल भेजने के अलावा वह इंडियन मुजाहिदीन के संचालकों की मांग पर जाली पहचान पत्र, सिमकार्ड मुहैया कराने, वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर एकत्र करने, किराए पर कमरा दिलाने और यहां तक कि छिपने के लिए शैक्षणिक संस्थाओं का सहारा लेता था।