नई दिल्ली, 11 फरवरी – वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में कहा कि अतिरिक्त बजटीय खर्च के मामले में मौजूदा सरकार पारदर्शी रही है जबकि पूर्व की संप्रग सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों (ओएमसी) को तेल पर दिए जाने वाले अनुदानों से अपने दायित्वों से मुकड़ कर अपने बहीखाते की सफाई करने का रास्ता चुना। आंकड़ों और खाते में हेराफरी के आरोपों का जवाब देते हुए राज्यसभा में सीतारमण ने कहा कि वर्तमान सरकार संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार के विपरीत अपनी अतिरिक्त बजटीय उधारी को लेकर साफ-सुथरी राह अपनाई है और उससे भी बढ़कर संप्रग के कार्यकाल के तेल बांड पर हर साल 9,900 करोड़ रुपये ब्याज चुकाया है।
उन्होंने कहा, “संप्रग के कार्यकाल में तेल के दाम रियायत देने के लिए कुल 1.40 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी का 1.9 फीसदी मूल्य का तेल बांड जारी किया गया और बहीखाता खराब न हो इसलिए उसका बोझ ओएमसी पर डाल दिया गया। और अब आप (कांग्रेस) हम पर आंकड़ों और खातों में हेराफेरी का आरोप लगा रहे हैं।”
वित्तमंत्री ने कहा, “हमने इसे नहीं छिपाया। हमने ओएमसी पर इसका बोझ नहीं दिया। संप्रग के कार्यकाल के दौरान लाखों करोड़ का खराब खर्च था जिसका बोझ हम ढो रहे हैं। पूर्व की सरकार के विपरीत हमने राजकोषीय घाटा लक्ष्य को लेकर सावधानी बरती और एफआरबीएम (राजकोषीय दायित्व व बजट प्रबंधन) अधिनियम का सम्मान किया।”
सीतारमण ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की उस टिप्पणी का भी जवाब दिया जिसमें उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था इंटनेसिव केयर में है और यह अयोग्य डॉक्टर के हाथ में है।
सीतारमण ने कहा कि मौजूदा सरकार को 2014 की दोहरी तुलन पत्र की समस्या विरासत में मिली है जिसके फलस्वरूप पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों) में कई समस्याएं पैदा हुईं।