नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में विशेष निदेशक के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय सोमवार को सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को मामाले को सोमवार के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह निर्देश गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कॉमन काज द्वारा इसका उल्लेख करने पर दिया।
याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि अस्थाना की नियुक्ति का विरोध जांच एजेंसी के प्रमुख आलोक वर्मा ने किया है, क्योंकि अस्थाना का नाम भ्रष्टाचार के एक मामले में सामने आया है जिसकी जांच एजेंसी द्वारा की जा रही है।
सीबीआई ने इस मामले में 30 अगस्त को आरोप पत्र दाखिल किया था। इसका संबंध कथित तौर पर गुजरात स्थित स्टर्लिग बॉयोटेक ग्रुप व संदेसारा ग्रुप द्वारा कई सरकारी अधिकारियों को भुगतान से जुड़ा है।
कॉमन काज ने अपनी जनहित याचिका में दलील दी है कि अस्थाना की नियुक्ति अवैध, मनमानी, दुर्भावनाग्रसित और शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित त्रुटिहीन प्रमाणिकता व संस्थागत अखंडता के सिद्धांत का उल्लंघन करती है।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि अस्थाना का नाम कथित तौर पर ‘डायरी 2011’ में सामने आया था, जिसे आयकर विभाग द्वारा स्टर्लिग बॉयोटेक व संदेसारा ग्रुप की कंपनियों के परिसर से 28 जून 2011 में छापेमारी के दौरान बरामद किया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि डायरी में कथित तौर पर हाथ से लिखित प्रविशिष्टियां हैं, जिसमें एक जनवरी व 28 जून 2011 के बीच के वित्तीय लेनदेन लिखा गया है।
मामले की जांच सीबीआई द्वारा की गई और आरोप पत्र 30 अगस्त को दाखिल किया गया।
अदालत से कहा गया कि अस्थाना को अधिकारी के तौर पर या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा अर्जित संपत्ति का खुलासा करने के सरकार के आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने के बावजूद पदोन्नत किया गया।
कॉमन काज ने केंद्र को निर्देश दिए जाने की मांग की है कि मामले की जांच पूरी होने तक अस्थाना को सीबीआई से बाहर स्थानांतरित किया जाए।