नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। भारत, पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर की वार्ता से पहले कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तानी उच्चायोग ने बातचीत का न्योता भेजा है। भारत के कूटनीतिक हलकों में इसे 23-24 अगस्त को होने वाली एनएसए वार्ता को बाधित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
ऐसा लगता है कि यह कदम उसी विचित्र सोच का हिस्सा है, जिसे पाकिस्तानी सैन्य-खुफिया तंत्र ने उफा में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच वार्ता से पैदा हुए सकारात्मक माहौल को खराब करने के लिए अपनाया था।
सूत्रों ने कहा है कि भारत देखो और इंतजार करो की नीति पर अमल कर रहा है। भारत के एनएसए अजीत डोभाल और पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज के बीच प्रस्तावित वार्ता के बारे में सभी विकल्प खुले हैं।
रूस के उफा में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ की वार्ता से पैदा हुए सकारात्मक माहौल को बिगाड़ने में पाकिस्तान तुरंत जुट गया था। सीमा पर गोलीबारी शुरू हो गई। गुरदासपुर और ऊधमपुर में आतंकी हमले हुए और अब रही सही कसर 23 अगस्त को अजीज से हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं की मुलाकात की दावत देकर पूरी कर दी गई है। इससे पहले अजीज ने वार्ता के लिए सहमति देने में 20 दिन लगाकर अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया था।
सूत्रों ने कहा, “खेल साफ नजर आ रहा है -पहले दिन से वार्ता को बाधित करो। हम हालात पर नजर रखे हुए हैं और माकूल जवाब देंगे।” सूत्रों ने यह नहीं बताया कि ‘माकूल जवाब’ से उनका आशय क्या है।
एनएसए स्तर की बैठक में कश्मीर का मुद्दा नहीं उठना है। इसलिए कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को वार्ता के लिए न्योता देने का कोई तुक नहीं है।
भारत ने पिछले साल 25 अगस्त को पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की वार्ता इसी तरह के हालात में रद्द कर दी थी। तब भारत के यह कहने के बावजूद कि इसका वार्ता पर संगीन असर होगा, पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने हुर्रियत नेताओं से मुलाकात की थी।
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेताओं ने बुधवार को बताया कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने उन्हें अजीज-डोभाल वार्ता से पहले बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया है।
हुर्रियत कांफ्रेंस के दोनों धड़ों, (मीरवाइज फारूक और सैयद अली शाह गिलानी) के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया गया है। इनके अलावा यासीन मलिक और नईम खान जैसे अन्य अलगाववादी नेताओं को भी बुलाया गया है।