नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। भारी-भरकम सार्वजनिक क्षेत्र के खर्च के मामले में राजमार्ग विकास शीर्ष स्तर पर रहा है, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल में निजी क्षेत्र के निवेश की चाहत काफी कम रही है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के भारी बोझ के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इस क्षेत्र को कर्ज देने से कतराते हैं।
नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। भारी-भरकम सार्वजनिक क्षेत्र के खर्च के मामले में राजमार्ग विकास शीर्ष स्तर पर रहा है, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल में निजी क्षेत्र के निवेश की चाहत काफी कम रही है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के भारी बोझ के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इस क्षेत्र को कर्ज देने से कतराते हैं।
नवोन्मेषी हाइब्रिड एन्युटी मॉडल-एचएम में राजमार्ग की कई परियोजनाएं प्रदान किए जाने और ईपीसी-इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन-अनुबंध की व्यवस्था से डेवलपरों को काफी सुकून मिला, लेकिन इससे उनको विशुद्ध रूप से बीओटी-बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांस्फर परियोजनाओं के लिए बोली लगाने की अपेक्षित अनुमति नहीं मिली।
उधर, निजी क्षेत्र से वित्तीय जोखिम सार्वजनिक क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण (एनएचएआई) की तरफ आ जाने से एनएचएआई का तुलनपत्र आवश्यकता से अधिक बड़ा बन गया है।
सरकार ने मुख्य रूप से एचएएम और ईपीसी के जरिए सड़क परियोजनाएं प्रदान की हैं, जो विशुद्ध रूप से सार्वजनिक वित्तपोषित मॉडल हैं। सरकार की ओर से एनएचएआई एक एचएएम परियोजना के लिए कुल लागत का 40 फीसदी निर्गत करता है। यह परियोजना 2016 के आरंभ में शुरू की कई थी। इसके तहत बाकी 60 फीसदी की व्यवस्था डेवलपरों को करना होता है। ईपीसी मॉडल में पूरी रकम सरकारी एजेंसी की तरफ प्रदान की जाती है। पिछले चार सालों के दौरान देश में मुख्य रूप से दोनों मॉडलों के माध्यम से राजमार्गों का विकास हुआ है।
मगर जानकार बताते हैं कि एचएएम मॉडल भी अब मंद पड़ गया है, क्योंकि राजमार्ग परियोजनाओं के लिए बैंक कर्ज देने में काफी सतर्कता बरत रहे हैं।
एक प्राइवेट डेवलपर के मुखिया ने कहा, “बैंकों को कई राजमार्ग परियोजनाओं की लागत राशि पर यकीन नहीं हो रहा है। वे निजी क्षेत्र की जरूरतों की पूर्ति के लिए पर्याप्त धन देने को तैयार नहीं हैं। एचएएम परियोजनाओं में निश्चित तौर पर डेवलपरों के मौजूदा दायित्व का ध्यान रखा जाना चाहिए।”
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर विश्वास उदगिरकर भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने कहा कि बैकिंग प्रणाली रोड सेक्टर को बहुत मदद नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा, “रोड सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर की दिलचस्पी सीमित है, क्योंकि डेवलपर संकट में हैं और एनपीए काफी उच्च स्तर पर जा चुका है।”
वित्त वर्ष 2018 में एनएचएआई ने 7,400 किलोमीटर की सड़क परियोजनाओं की निविदा प्रदान की। अधिकांश परियोजनाएं मार्च में प्रदान की गईं। 2017-18 में 3,400 किलोमीटर की एचएएम परियोनाएं प्रदान की गईं। वित्त वर्ष 2019 के आरंभ में एनएचएआई ने 300 किलोमीटर सड़क योजना का अवार्ड एचएएम के माध्यम से किया।