लंदन, 22 फरवरी (आईएएनएस)। इराक और सीरिया में बड़े पैमाने पर आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने वाले और सबसे अधिक आतंकवादियों की संख्या वाले आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) को तेल के सबसे अधिक भंडारण वाले अरब देशों से धन मिलता है। एक मीडिया रपट में रविवार को यह दावा किया गया।
समाचार पत्र ‘द इंडिपेंडेंट’ ने कुर्द अधिकारियों के हवाले से लिखा कि इस्लामिक स्टेट को खाड़ी देशों के अमीर दानदाता धन देकर समर्थन दे रहे हैं, यह धन इस्लामिक स्टेट अपने लड़ाकों को देता है। इन लड़ाकों की तादाद 100,000 से अधिक हो सकती है।
कुर्द राष्ट्रपति मसूद बर्जानी के सेनाध्यक्ष फौद हुसैन ने रविवार को कहा, “अरब देशों में दाएश (अरबी में आईएस का संक्षिप्त नाम) के प्रति लोगों की सहानुभूति है और यह वित्तीय सहायता में बदलती जा रही है, और यह एक आपदा है।”
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक खाड़ी देशों द्वारा सीरिया में विपक्षियों को वित्तीय सहायता खुले तौर पर दी जा रही थी। लेकिन अब इनमें से ज्यादातर विद्रोही गुट इस्लामिक स्टेट और अल कायदा से संबद्ध जभात अल-नुसरा से जुड़ चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप इनके पास अब खूब पैसा और हथियार हो गए हैं।
हुसैन ने कहा कि खाड़ी के तेल बहुल देशों में आईएस को वित्तीय मदद देने वाले वे लोग हैं जो पूर्व में सीरिया और इराक में सुन्नी अरब विद्रोहियों को मदद देते थे।
इराकी कुर्द नेतृत्व के एक वयोवृद्ध सदस्य महमूद ओथमैन ने कहा कि आईएस को अरब देशों से वित्तीय सहायता इसलिए मिल रही है क्योंकि वे उसके परिणामों से डरते हैं।
उन्होंने कहा, “खाड़ी देशों से दाएश को वित्तीय सहायता इसलिए मिल रही है क्योंकि इसके बदले में उसने उनके इलाकों में अपने अभियान न चलाने का वादा किया है।”
इराक के शहर मोसुल के लोगों ने ‘द इंडिपेंडेंट’ को बताया कि 15 लाख की आबादी वाले इस शहर में आईएस ने हर घर से एक नौजवान को अपनी सेना में जबरन शामिल किया है।
आईएस द्वारा निर्धारित लामबंदी की हद को देखते हुए अमेरिका को उम्मीद है कि वह इस वसंत तक मोसुल को आईएस के कब्जे से वापस ले लेगा। अमेरिका इस अभियान में 20,000 से 25,000 इराकी सरकार और कुर्द सैनिकों की सहायता लेगा।