नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय से यह निर्देश देने का आग्रह किया कि अयोध्या जाने वाले तीर्थयात्रियों को निर्बाध आवाजाही और कुछ जांच बिंदुओं के साथ सभी प्रकार की नागरिक सुख-सुविधाएं मिले।
प्रधान न्यायाधीश एच. एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ से स्वामी ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित स्थल पर स्थापित भगवान राम की प्रतिमा का दर्शन करने आने वाले तीर्थयात्रियों को पेश आने वाले ‘पुरजोश से भी कहीं आगे के दमनात्मक प्रतिबंध’ में ढील देने का निर्देश देने की मांग की।
चूंकि स्वामी ने शीघ्र सुनवाई की मांग की इसलिए अदालत ने उनसे कहा कि बहस पूरी हो गई या नहीं यह देख लें।
अदालत ने स्वामी से कहा, “देख लें कि इस मामले में बहस पूरी हो गई है। उसके बाद हम तारीख दे देंगे।”
स्वामी ने ‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा 23 फरवरी 1996 को दिए गए हर निर्देश का प्रवर्तन किए जाने की मांग की है। लखनऊ पीठ ने जिस स्थान पर भगवान राम की प्रतिमा स्थापित की गई है वहां तक तीर्थयात्रियों के पहुंचने वाले हर सीधे रास्ते पर वाहनों की उचित पार्किं ग और तीर्थयात्रियों को मुक्त रूप से आवाजाही की सुविधा दी जाए।’
सर्वोच्च न्यायालय ने 10 मई 1996 को लखनऊ पीठ के आदेश के बाद यथा-स्थिति को बहाल रखने का आदेश दिया था।
उच्च न्यायालय की पीठ ने तीर्थयात्रियों के लिए नि:शुल्क क्लॉकरूम सुविधा मुहैया कराने का आदेश दिया था जिसे वे दर्शन करने में लगने वाले समय के लिए अपने सामान को सुरक्षित रखने के लिए प्रयोग में ला सकें।
इस क्लॉकरूम को ऐसी जगह स्थापित करने के लिए कहा गया था ताकि तीर्थयात्रियों को वापसी में ज्यादा समय नहीं लगे।
स्वामी सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि उच्च न्यायालय की पीठ द्वारा दिए गए निर्देश ‘असंदिग्ध’ हैं, लेकिन ‘दुर्भाग्यवश शीर्ष अदालत द्वारा 10 मई 1996 को पारित यथास्थिति आदेश’ इनमें कोई भी निर्देश लागू नहीं किया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।