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 अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव तक खिंचती रहेगी सीरिया समस्या (विश्लेषण) | dharmpath.com

Sunday , 9 March 2025

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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव तक खिंचती रहेगी सीरिया समस्या (विश्लेषण)

जब ऐसा लग रहा था कि सीरिया में विद्रोहियों पर लगाम कस दी गई है और विद्रोहियों तथा उनके प्रतिनिधियों को मसले के राजनीतिक समाधान के लिए जिनेवा में बातचीत के लिए राजी किया जा चुका है, तब अचानक अलेप्पो में लड़ाई भड़क गई है। अलेप्पो सीरिया को सबसे घनी आबादी वाला शहर है। यहां की आबादी करीब 55 लाख है जबकि राजधानी दमिश्क की आबादी 45 लाख है।

जब ऐसा लग रहा था कि सीरिया में विद्रोहियों पर लगाम कस दी गई है और विद्रोहियों तथा उनके प्रतिनिधियों को मसले के राजनीतिक समाधान के लिए जिनेवा में बातचीत के लिए राजी किया जा चुका है, तब अचानक अलेप्पो में लड़ाई भड़क गई है। अलेप्पो सीरिया को सबसे घनी आबादी वाला शहर है। यहां की आबादी करीब 55 लाख है जबकि राजधानी दमिश्क की आबादी 45 लाख है।

न्यूयार्क टाइम्स, अन्य पश्चिमी और सऊदी मीडिया में आज ये बातें हो रही हैं कि ‘अलेप्पो एक विभाजित शहर हो गया है’, और ऐसा कहे जाने की वजहें बहुत साफ हैं।

रूसी मदद से सीरियाई सेना ने पल्मायरा में मनोबल बढ़ाने वाली महत्वपूर्ण जीत हासिल की थी। मार्च के तीसरे सप्ताह में रूसी सैनिकों ने अलेप्पो को घेर लिया था। लेकिन, सवाल है कि उन्होंने इजाज को क्यों छोड़ दिया जो कि तुर्की में तस्करी का मुख्य मार्ग है। इसी के जरिए नए हथियार और नए वाहनों में लोग अलेप्पो में आकर तबाही फैलाते हैं।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के पास ऐसे कई ‘सबूत’ हैं। उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी को ये सबूत दिए हैं, उन्हें बताया है कि बिल्कुल नए हथियार और अन्य सामान मिले हैं, जो अमेरिका निíमत हैं।

सीरिया मामले में अमेरिकी भी अपनी गलती को पूरी मासूमियत के साथ स्वीकार करते हैं। अमेरिका के रक्षा मंत्री एशटन कार्टर से संसदीय समिति और बाद में मीडिया ने सीरिया में अमेरिका के लचर विशेष अभियान के बारे में सवाल पूछे थे। अमेरिकी जिन ‘मध्यमार्गियों’ को प्रशिक्षण दे रहे थे, उन्होंने अपने हथियार नुसरा फ्रंट के लिए छोड़ दिए और खुद के निकलने लिए सुरक्षित रास्ता मांग लिया। कार्टर ने खुलेआम बताया कि 50 करोड़ डॉलर के प्रशिक्षण कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है।

न्यूर्याक टाइम्स के थामस फ्रीडमैन ने पूछा था कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने जब अपना सिर उठाया ही था, उस वक्त अमेरिका ने उसके खिलाफ अपना हवाई अभियान क्यों नहीं शुरू किया? अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जवाब में काफी ईमानदारी दिखाई थी : उस वक्त इराक के शिया प्रधानमंत्री नूर-अल-मालिकी पर दबाव बनाना जरूरी था, तब अमेरिका और सऊदी अरब, दोनों की प्राथमिकता मालिकी की घनघोर शिया समर्थक सत्ता को हटाना था। इस काम में आईएस बेहद कीमती था। क्या अब वह (आईएस) बेशकीमती नहीं रह गया है?

इराक में आईएस के ताजा हमले से साफ है कि वह कहीं से भी कमजोर नहीं हुआ है।

सऊदी विरोधी अरब राजदूत यह बात साबित करने में लगे हैं कि आईएस दरअसल अमेरिका की ही पैदावार है और अब उसके हाथ से निकल गया है, जैसे कि कभी ओसामा बिन लादेन उसके हाथ से निकल गया था।

दूसरी तरफ सीरियाई राजनयिक ब्रिटेन पर काल्पनिक कहानियां गढ़ कर आरोप लगा रहे हैं। ब्रिटिश संसद ने प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को सीरिया के राष्ट्रपति असद के सैनिकों पर जब हमला करने की अनुमति नहीं दी, तो ब्रिटिश खुफिया एजेंसी असद के विरोधियों के लिए प्रचार अभियान चलाने में लग गई। सीरिया के अधिकारियों का कहना है कि इस बात का पता उन्हें खुफिया संदेशों को बीच में पकड़ने से चला है।

इन तमाम भ्रमों के बीच, सीएनएन की क्रिस्टीन अमनपोर ने कार्टर के मन में खुदा का खौफ पैदा करने की कोशिश की। उनसे बातचीत में कहा कि उन्हें डर है कि कहीं अलेप्पो दूसरा सेरेब्रेनिका न बन जाए।

1995 में बोस्निया के युद्ध में सर्बिया की सेना ने करीब 8373 पुरुषों और लड़कों को महिलाओं से अलग ले जाकर उनकी हत्या कर सामूहिक रूप से दफन कर दिया था।

कार्टर इस जाल में नहीं फंसे और कहा कि सीरिया की समस्या का राजनीतिक समाधान ही संभव है।

अलेप्पो में फिर से भीषण लड़ाई क्यों शुरू हुई है?

रूसी मदद से सीरियाई सुरक्षा बलों ने काफी जगहों पर अपना कब्जा जमा लिया था। इससे विरोधियों के पास जिनेवा में समझौते पर मोल भाव करने के लिए बहुत कुछ नहीं बचा था। तुर्की ने अलेप्पो के उत्तरी हिस्से को ‘नो फ्लाई जोन’ बनाने की मांग की लेकिन यह पूरी नहीं हुई। अमेरिका इस क्षेत्र से कुर्दिश प्रभाव को कम करने के पक्ष में नहीं है। विभाजित अलेप्पो में सीरियाई विपक्ष को कम से कम पैर रखने की जगह तो मिल रही है। रूसी फिलहाल इसका विश्लेषण कर रहे है कि वे ऐसा होने दें या नहीं।

रूस और अमेरिका प्राथमिक रूप से सीरियाई सेना और उन पक्षों के बीच संघर्षविराम पर राजी हुए थे जो इसे मानने के लिए तैयार थे। इस समझौते में अल-नुसरा फ्रंट या आईएस को बचाने का कोई प्रवधान नहीं था। लेकिन, अमेरिका अल-नुसरा से ‘मध्यमार्गी विपक्ष’ के नाम पर पूरी तरह से अलग भी नहीं है।

मुख्य रूप से अब वहां ये स्थिति है कि रॉकेट दागे जा रहे हैं जिसके बारे में सीरियाई सेना का कहना है कि ये नुसरा के कब्जे वाले इलाकों से आ रहे हैं। सीरिया की सेना जवाब दे रही है जिसे पश्चिमी मीडिया हत्या बता कर उछाल रही है। कह रही है: देखिए वे नागरिकों और मध्यमार्गी विपक्ष को मार रहे हैं।

दूसरे शब्दों में अल-नुसरा वह धुंध है जिसके पीछे तथाकथित मध्यमार्गी विपक्ष को अस्तित्व में ढाला गया है, बचाया गया है। जिस बात का शक है, वह यह कि काल्पनिक रेखा पर ऐसे युद्धविराम की कोशिश हो रही है जो अलेप्पो को दो हिस्से में बांट देगा। सीरिया और रूस संयुक्त रूप से अलेप्पो में ऐसे तत्व चाहेंगे जो उनके प्रति निष्ठावान हों। दरअसल ऐसा लग रहा है कि सीरिया में तब तक किसी तरह का कोई भी प्रस्ताव ऐसे ही रगड़ कर घिसटता रहेगा जब तक (7 नवंबर तक) कि अमेरिका में नया प्रशासन अस्तित्व में नहीं आ जाता और हालात की नए सिरे से समीक्षा नहीं करता।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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