वाशिंगटन, 8 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय, व्हाइट हाउस ने एक बार फिर चेताया है कि यदि रिपब्लिकन के बहुमत वाला कांग्रेस ईरान परमाणु समझौते को एकतरफा रद्द कर देता है तो इससे अमेरिकी रुख को धक्का लगेगा और भारत जैसे देशों का समर्थन नहीं मिल पाएगा।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि भारत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने में अमेरिका का साथ दिया था और तेहरान पर लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन किया था।
अर्नेस्ट ने कहा कि भारत ने अपने आर्थिक हितों की कुर्बानी देते हुए ईरान से तेल आयात सीमित कर दिया था।
अर्नेस्ट ने कहा, “भारत जैसे देश इस बात पर राजी हुए थे कि वे इस व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर पहुंचने की कोशिश में ये कदम उठाएंगे, भले ही उन्हें इसके लिए कुर्बानी देनी पड़े।”
उन्होंने कहा, “अच्छी खबर यह है कि समझौता पर सहमति बन गई है। यह ऐसा समझौता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन प्राप्त है। जैसा कि राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है कि इसे 99 फीसदी विश्व समुदाय का समर्थन प्राप्त है।”
अर्नेस्ट ने कहा, “इसलिए यदि अमेरिकी कांग्रेस इस करार को रद्द करने का एकतरफा फैसला करती है, तो इससे अमेरिका की छवि खराब होगी। इस कदम के बाद भारत जैसे राष्ट्र, जिन्होंने सालों तक अपने हितों की कुर्बानी दी, ईरान पर प्रतिबंध जारी रखने में कोई रुचि नहीं लेंगे।”
अर्नेस्ट ने कहा कि जब शुरुआत में ईरान पर प्रतिबंध लगाया गया था, तब अमेरिकी अधिकारी पूरी दुनिया से समर्थन मांग रहे थे। अधिकारी भारत भी गए थे, वहां सरकार के साथ बैठकें की और ईरान से तेल आयात सीमित करने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा, “और हमने उन चर्चाओं में आए उस संदर्भ को स्वीकार किया कि इससे भारत के लोगों और भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक कुर्बानी देनी होगी। लेकिन भारतीय नेता यह कहते हुए इस पर सहमत हो गए कि यदि वे ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने में हमारे कूटनीतिक प्रयास का समर्थन कर सकते हैं, तो वे ऐसा करना चाहेंगे।”