श्रीनगर, 27 सितंबर –| कश्मीर घाटी में अप्रत्याशित बाढ़ के तीन सप्ताह बाद भी जम्मू एवं कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी के व्यस्त रहने वाले बाजार और सड़कें शनिवार को वीरान नजर आईं।
खूबसूरत रेजिडेंसी रोड और लाल चौक बाजार में जहां राहगीर, खरीदार और दुकानदार शहर में आए दिन लगने वाले जाम से परेशान रहते थे, आज वे सभी जिंदगी की भीड़-भाड़ न होने से उदास हैं।
रेजिडेंसी रोड पर ‘पासवर्ड’ नाम से किताबों की दुकान चलाने वाले मंजूर-उल-हक ‘वतन पब्लिसर्स’ के नाम से एक प्रकाशन घर भी चलाते हैं।
उन्होंने कहा रेजिडेंसी रोड और सिटी सेंटर लाल चौक की रौनक तो शायद एक दशक में भी नहीं लौट सकेगी।
उन्होंने कहा, “सबकुछ तबाह हो गया। कहां तो सात सितंबर के पहले हम यातायात जाम का सामना करते थे, अब खरीदारों की कतार कहां चली गई।”
हक ने आईएएनएस से कहा, “अब हम आज चारों तरफ कचरे का अंबार, सुनसान, गंदी सड़कें, बंद दुकानें, गमजदा दुकानदारों और रेजिडेंसी रोड के हर तरफ मायूसी का कफन पसरा देख रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि बाढ़ ने उनसे जिंदगी भर की कमाई झटक ली।
उन्होंने बताया, “रेजिडेंसी रोड पर मेरी दुकान थी और दुकान से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर एस. पी. कॉलेज के पीछे घर। दोनों ही तबाह हो गए।”
उन्होंने कहा, “हमारा स्टोर भी डूब गया जहां हमने प्रकाशन के लिए कागज और अन्य चीजों को रखा हुआ था।” उन्होंने बताया कि दो मंजिली दुकान के ऊपर वाले माले पर रखी किताबें बच गईं।
यह पूछने पर कि चीजों के पटरी पर लौटने में कितना वक्त लगेगा, हक ने अपने कंधे उचकाए और कहा, “कारोबार तो शायद एक महीने के भीतर या पखवाड़े में लौट आएगा, लेकिन रेजिडेंसी रोड और लाल चौक शायद एक दशक में भी नहीं संभल पाएगा।”