यहां एक बयान जारी कर निषाद ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को पिछड़े, अतिपिछड़े व निषाद समाज की ताकत का अहसास हो गया है। भाजपा ने पिछड़ों व अत्यंत पिछड़ों को ध्रुवीकृत करने के लिए समावेशी राजनीति की जगह जातिवादी राजनीति का खुलकर प्रचार किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं को अतिपिछड़ा कहकर अपनी गरिमा के प्रतिकूल काम किया।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित जीत के बाद भाजपा के नेता कहने लगे थे कि अमित शाह चुनाव प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं, अगर वह गधा, कुत्ता को भी खड़ा कर देंगे तो चुनाव जीत जाएगा। लेकिन दिल्ली व बिहार की जनता ने अमित शाह के चुनाव प्रबंधन की औकात बताते हुए उन्हें पैर जमीन पर रखने की सीख दे दी है।
निषाद ने कहा, “अब देश के पिछड़े, दलित व आदिवासी नरेंद्र मोदी और अमित शाह के झूठे झांसे में आने वाले नहीं हैं। शाह कहते थे कि मोदी 20 वर्ष तक प्रधानमंत्री रहंेगे, लेकिन डेढ़ वर्ष में ही जनता ने सच्चाई बता दी और अगर आज की तारीख में चुनाव हो जाए तो भाजपा 50-60 सीट से ज्यादा नहीं जीत पाएगी।”
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को अगर चैन से चार साल गुजारने हैं तो थोड़ा काम करके भी दिखाए। भाषणबाजी बहुत हो चुकी, लोग काम होता देखना चाहते हैं। डेढ़ वर्ष में अगर एक भी काम हुआ होता तो बिहार में भाजपा का यह हाल न होता। प्रधानमंत्री सिर्फ वादे ही करते चले जा रहे हैं, निभाएंगे कब यह कोई नहीं जानता।
निषाद ने केंद्र सरकार से फिशरमैन विजन डॉक्यूमेंट्स लागू करने तथा राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू एवं अर्धघुमंतू जनजातीय आयोग या रेडके कमीशन की रिपोर्ट लागू किए जाने की मांग की है।
उन्होंने राष्ट्रीय मछुआरा आयोग, राष्ट्रीय विमुक्त जाति एवं घुमंतू जनजाति आयोग का गठन करने व अलग से स्वतंत्र मत्स्य मंत्रालय बनाने तथा वीर एकलव्य पुरस्कार घोषित करने की मांग की है।
निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अत्यंत पिछड़े वर्ग की आबादी कुल जनसंख्या में 33.34 प्रतिशत व अतिपिछड़े वर्ग की संख्या 10.22 प्रतिशत है, जो प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करती है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की दोहरे चरित्र वाली राजनीति को अतिपिछड़ा व अत्यंत पिछड़ा वर्ग पूरी तरह समझ गया है। भाजपा वोट बैंक बनाने के लिए सामाजिक न्याय व अतिपिछड़ों की बात करती है, लेकिन सत्ता पाने के बाद अतिपिछड़ों को सिरे से खारिज कर देती है।
उन्होंने कहा कि उप्र विधानसभा चुनाव-2017 में भाजपा को करारा जवाब मिलेगा और अत्यंत पिछड़ों के समर्थन की बदौलत अखिलेश यादव के नेतृत्व में फिर से सपा की सरकार बनेगी।