नयी दिल्ली – राजस्थान सरकार ने सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में सुबह प्रार्थना के बाद बच्चों के द्वारा सूर्य नमस्कार और योग करना अनिवार्य करने के आदेश जारी किए है।
इस फैसले का अल्पसंख्यक समुदाय ने विरोध किया है साथ ही शिक्षकों के एक वर्ग ने भी नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। सरकार का कहना है कि यह फैसला विद्यार्थियों के ‘शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य’ को बेहतर बनाने के लिये लिया गया है और इसे स्वास्थ्य के तौर पर ही देखा जाना चाहिए।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक सुआलाल ने बुधवार को जारी आदेश में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में विद्यार्थियों द्वारा सुबह प्रार्थना के बाद दस मिनट तक सूर्य नमस्कार और योग करना सुनिश्चित करायें।
सुआ लाल ने बताया कि २० मिनट के कार्यक्रम में पांच मिनट प्रार्थना और पांच मिनट समाचार पत्र वाचन और दस मिनट सूर्य नमस्कार और योग के लिये निर्धारित किये गये है। इसके साथ ही राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत भी गाना अनिवार्य किया है।
ऑल राजस्थान स्कूल टीचर्स यूनियन के अध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने कहा कि यह फैसला तकनीकी रूप से सही नहीं है, क्योंकि सूर्य नमस्कार सूर्योदय के समय होना चाहिए जबकि स्कूल सूर्योदय के बाद खुलते हैं और वह समय सूर्य नमस्कार के लिये आदर्श समय नहीं है।
जमाते इस्लामी हिंद राजस्थान के सचिव मोहम्मद इकबाल ने इस फैसले का विरोध करते हुए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की। इकबाल ने कहा कि यह फैसला अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक सिद्घांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि वे अन्य संगठनों से इस विषय में सलाह कर रहे है और चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस फैसले की बाध्यता समाप्त नहीं करती है तो वे कोर्ट जायेंगे।
एक अन्य संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज ने भी इस फैसले का विरोध किया है और कहा है कि इस फैसले से दूसरे समुदाय के बच्चे भी हिन्दुत्व से प्रेरित गतिविधि में हिस्सा लेने को बाध्य होंगे।
पीयूसीएल ने एक बयान जारी कर कहा है कि सूर्य नमस्कार हिन्दू धर्म की गतिविधि है और प्रदेश की मुख्यमंत्री से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।
स्रोत-आज तक