लखनऊ-उत्तर प्रदेश में आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के निलंबन के बाद अब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तेज तर्रार अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह राज्य सरकार के निशाने पर हैं। उनके खिलाफ कभी भी कार्रवाई हो सकती है, लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं है।
सूर्य प्रताप ने कहा, “लोग मुझे बागी कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। एक जनसेवक का असली काम व्यवस्था की खामियों को उजागर करना ही होता है और मैं वह करता रहूंगा। इसके लिए चाहे मुझे कोई कीमत चुकानी पड़े।”
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1982 बैच के अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत के दौरान खुद पर उठ रहे सवालों को लेकर विस्तार से बातचीत की।
उन्होंने कहा, “मेरी लड़ाई व्यवस्था के खिलाफ है, न कि किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ। व्यवस्था में आई खामियों को लेकर आवाज उठाता रहूंगा और जिस दिन यह समझ जाऊंगा कि सुधार की गुंजाइश ही है तो नौकरी छोड़कर चला जाऊंगा। जीवन जीने के और कई रास्ते हैं।”
अमिताभ ठाकुर की तरह सूर्य प्रताप सिंह भी इधर कुछ समय से सामाजिक मुद्दों को लेकर काफी सक्रिय हैं और अपने फेसबुक अकाउंट के माध्यम से भी वह लगातार जनता से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं।
आईएएस अधिकारी ने कहा कि नकल माफिया के खिलाफ आवाज उठाना क्या गुनाह है? उन्होंने कहा, “ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिला। सूखा राहत में घोर अनियमितता बरती गई इसी तरह कई और मुद्दे हैं, जिनको लेकर मैंने अपनी व्यक्तिगत सोच जाहिर की है और ऐसा करना कोई अपराध नहीं है।”
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) में जिस तरह से अंधेरगर्दी मची हुई है, वह वाकई हैरान करने वाली है। बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। व्यवस्था से विश्वास उठता जा रहा है।
सेवा नियमावली के उल्लंघन को लेकर पूछे जाने पर सूर्य प्रताप ने कहा, “मैंने कुछ गलत नहीं किया है। जनता से जुड़े मुद्दों पर अपनी व्यक्तिगत राय जाहिर करने से मुझे कोई रोक नहीं सकता। संविधान ने मुझे यह अधिकार दिया है।”
यह पूछे जाने पर कि यदि सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करती है, उनका अगला कदम क्या होगा, सूर्य प्रताप ने कहा, “मेरी लड़ाई सरकार से नहीं है, व्यवस्था से है और इसे बदलने की मुहिम मैं चला रहा हूं।”
आईएएस अधिकारी ने ने कहा, “मैं तो कहता हूं कि उप्र के सभी 403 विधायकों, नौकरशाहों एवं न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोगों की डिग्रियों का सत्यापन कराया जाना चाहिए। ऐसा करने से बहुत खुलासे सामने आ जाएंगे।”
उन्होंने कहा, “यदि सरकार इन लोगों की डिग्रियों का सत्यापन नहीं करा सकती तो मुझे सौंप दे। मेरे पास वोलेंटरी एक्शन फॉर सोशल ट्रांसफॉर्मेशन जैसी संस्था है, जिससे यह काम बड़ी आसानी से कराया जा सकता है।”
व्यवस्था को बदलने की अपनी मुहिम के बारे में सूर्य प्रताप ने बताया कि उप्र के 75 जिलों में वह ‘ढाबा चौपाल’ लगाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “आप देखिएगा, आने वाले समय में यही ढाबा चौपाल उप्र में परिवर्तन का केंद्र बनेगी। हर जिले में इसके तहत 30 से लेकर 50 वॉलिंटियर तैयार किए जा रहे हैं। इनका काम उस जिले से जुड़ी पांच बड़ी समस्याओं पर अपनी आवाज उठाना है।”
उन्होंने कहा कि ढाबा चौपाल को युवाओं से बड़ा सहयोग मिल रहा है और आने वाले समय में भी लोगों को इसका सहयोग मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि सूर्य प्रताप सिंह वर्तमान में उप्र सरकार में सार्वजनिक उद्यम विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर तैनात हैं। इनका कहना है कि इन्हें अपना ‘मुंह बंद रखने’ के लिए पिछले कई दिनों से लगातार धमकियां मिल रही हैं।