शिमला, 11 सितंबर (आईएएनएस)। पड़ोसी राज्य पंजाब की तरह हिमाचल प्रदेश भी ड्रग्स और मादक पदार्थो के खतरे से जूझ रहा है। पुलिस के रिकार्ड दर्शाते हैं कि केवल विगत तीन महीने में मादक पदार्थो से संबंधित 274 मामले दर्ज किए गए हैं और 320 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
शिमला, 11 सितंबर (आईएएनएस)। पड़ोसी राज्य पंजाब की तरह हिमाचल प्रदेश भी ड्रग्स और मादक पदार्थो के खतरे से जूझ रहा है। पुलिस के रिकार्ड दर्शाते हैं कि केवल विगत तीन महीने में मादक पदार्थो से संबंधित 274 मामले दर्ज किए गए हैं और 320 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
खतरा ने गंभीर रूप धारण कर लिया है और यह न केवल राज्य सरकार के लिए चिंता की बात बन गई है, बल्कि अदालतों के लिए भी।
इस बढ़ते खतरे से निपटने में कोताही बरतने के लिए उच्च न्यायालय सरकारी अधिकारियों की न केवल प्रति दिन खिंचाई कर रहा है, बल्कि इसे रोकने की दिशा में कदम उठाने के लिए उन्हें एक तरह से मजबूर कर दिया है।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के एक अध्ययन का जिक्र करते हुए हाल के एक फैसले में न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की पीठ ने माना कि राज्य के 40 प्रतिशत युवा मादक पदार्थो के दुरुपयोग में संलिप्त हैं।
इस मुद्दे पर सहमति जताते हुए राज्य के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि मादक पदार्थो को लेकर सरकार ने सहिष्णु शून्य
की नीति अपनाई हैं।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “हमारा पड़ोसी राज्य पंजाब मादक पदार्थो से बुरी तरह प्रभावित है और हमारे राज्य में भी यह खतरा गंभीर चुनौती बन गया है।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “अफीम या भांग के उत्पादन के लिए मशहूर इलाके चाहे वह कुल्लू घाटी में मलाना हो या कोई अन्य जगह सरकार उनकी फसलों को नष्ट कर रही है।”
पुलिस अधिकारियों ने आईएएनएस से कहा कि पश्चिम हिमालय में दुर्गम घाटियां और बुलंद पर्वतीय इलाकों में अफीम और भांग की खेती होती है। ये देश के सर्वाधिक मादक पदार्थ उत्पादन करने वाले क्षेत्र हैं। यहां के मादक पदार्थ यूरोप भेजे जाते हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि मादक पदार्थो और जल्द पैसे कमाने के लालच में भी विदेशी हिमाचल प्रदेश के इन अनन्वेषित इलाकों में आते हैं, जहां वे असंगठित मादक पदार्थो के उत्पादन का हिस्सा बन जाते हैं। उनमें कुछ कभी घर नहीं जाते हैं। सामान्यत: वे रहस्यमयी ढंग से गायब हो जाते हैं।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार, केवल कुल्लू घाटी में 50,000 एकड़ में भांग की खेती होती है।
हालांकि गत 5 सितंबर को समाप्त हुए राज्यव्यापी अभियान के निगरानीकर्ता रहे मुख्य सचिव वी.सी फरका ने कहा कि सरकारी भूमि पर 19157 बीघे में और निजी भूमि पर 6040 बीघे में भांग की फसल और खसखस के 76,93 पौधे नष्ट किए गए हैं।
उधर, भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री रविंदर रवि ने आईएएनएस से कहा कि पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा से सटे इलाके मादक पदार्थो के केंद्र बन गए हैं। तीर्थस्थलों और पर्यटन स्थलों पर भी मादक पदार्थो का खतरा गंभीर बन गया है।
अधिकारियों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में उत्पादित 60 प्रतिशत भांग और खसखस तस्करी कर इजरायल, इटली, हॉलैंड और अन्य यूरोपीय देशों में भेजे जाते हैं। शेष बचे उत्पाद नेपाल या भारत के अन्य राज्यों जैसे गोवा, पंजाब और दिल्ली भेजे जाते हैं।
विगत पांच वर्षो में 70 विदेशी, मुख्य रूप से ब्रिटेन, जापान, इजरायल, जर्मनी, और इटली के नागरिकों को स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।