नई दिल्ली: अडानी समूह अपनी सीमेंट कंपनियों – अंबुजा सीमेंट और एसीसी – से जुड़े कर्ज को चुकाने के लिए कुछ और समय मांग रहा है.
इकोनॉमिक टाइम्स अखबार ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया है कि गौतम अडानी के नेतृत्व वाली फर्म बकाया ऋण की शर्तों पर फिर से बातचीत करना चाहती है, जो कि 4 बिलियन डॉलर के हैं.
अखबार ने लिखा है कि अडानी समूह ने यह कर्ज पिछले साल अगस्त में स्विट्जरलैंड के होल्सिम समूह से लिया था. समूह ने 3 अरब डॉलर के ब्रिज लोन (Bridge Loan) की अवधि बढ़ाने के लिए उधारदाताओं के साथ बातचीत शुरू कर दी है. इसे उम्मीद है कि यह कार्यकाल मौजूदा 18 महीनों से पांच साल या उससे अधिक की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी समूह एक अरब डॉलर के एक और मेजेनाइन ऋण (Mezzanine Loan – यह ऋण और इक्विटी वित्तपोषण का एक मिश्रण है, जो ऋणदाता को डिफ़ॉल्ट के मामले में ऋण को इक्विटी ब्याज में परिवर्तित करने का अधिकार देता है,) को, जिसकी वर्तमान पुनर्भुगतान अवधि 24 महीने है, को वरिष्ठ सुरक्षा ऋण में बदलने की मांग कर रहा है, जिससे इसकी अवधि 5 साल तक बढ़ जाएगी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया है कि इस समाचार रिपोर्ट के प्रकाशन के दिन अडानी समूह के शेयरों में गिरावट देखी गई.
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ‘अडानी समूह के सभी 10 शेयर मंगलवार को गिरावट में कारोबार कर रहे थे, जिनमें से चार – अडानी पावर, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी ग्रीन और अडानी टोटल गैस – का कारोबार अपेक्षाकृत अधिक खराब रहा.’ अडानी समूह को बाजार में ‘सबसे खराब प्रदर्शन’ करने वाला कहा गया.
गौरतलब है कि जनवरी के अंत में अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
इसके बाद अडानी समूह को बाजार पूंजीकरण में करीब 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. अडानी समूह ने किसी भी गलत काम और धोखाधड़ी के सभी आरोपों से इनकार किया है.
विश्लेषक आलम श्रीनिवास लिखते हैं कि अडानी के सिर पर से कर्ज का बोझ नहीं हटेगा. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि समूह का ऋण जोखिम अभी भी अधिक है.’ वह इसे ‘अस्थिर ऋण हालात’ कहते हैं और कहते हैं कि ‘समूह को अभी भी नकदी प्रवाह की जरूरत है.’
90 बिलियन डॉलर से अधिक संपत्ति वाली अमेरिकी कंपनी जीक्यूजी पार्टनर्स द्वारा एक दिन में 1.9 अरब डॉलर के अडानी शेयरों की हालिया खरीद पर विश्लेषक कहते हैं कि ‘जीक्यूजी ने अडानी के निजी कोष से शेयर खरीदे, न कि बाजार से. इसलिए इस खरीददारी ने अडानी को चार कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करने में सक्षम बनाया.’
विश्लेषक लिखते हैं, ‘यह हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए मुख्य आरोपों में से एक को देखते हुए महत्वपूर्ण है.’
गौरतलब है कि हिंडनबर्ग रिसर्च का मुख्य आरोप यह है कि इसने टैक्स हेवन देशों में कंपनियों का पता लगाया, ‘जिनकी सूचीबद्ध अडानी फर्मों में बड़ी हिस्सेदारी थी और जो गौतम अडानी के भाई विनोद से संबंधित थीं.’
लेकिन जैसा कि ‘इन तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया था, वास्तव में कई सूचीबद्ध कंपनियों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 75 फीसदी की कानूनी सीमा से अधिक हो गई थी. अगर जांच में पता चलता है कि ये संस्थाएं अडानी से संबंधित हैं, तो यह अडानी समूह के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है.