बेंगलुरू, 13 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय हॉकी टीम के उप कप्तान सुरेंद्र कुमार का मानना है कि युवा खिलाड़ियों को 28वें अजलान शाह कप 2019 से मिलने वाले अनुभव का लाभ टीम को एफआईएच मेन्स सीरीज फाइनल में मिलेगा।
मेन्स सीरीज फाइनल इस साल जून में भुवनेश्वर में खेला जाएगा जबकि अजलान शाह की शुरुआत मलेशिया के इपोह में 23 मार्च से हो रही है।
भारत ने इस टूर्नामेंट के लिए युवा खिलाड़ियों से सजी टीम चुनी है जिसमें हार्दिक सिंह, विवेक सागर प्रसाद, सुमित, नीलकांत शर्मा और गुरजंत सिंह समेत अन्य खिलाड़ी शामिल हैं।
सुरेंद्र ने कहा, “सुल्तान अजलान शाह कप हमेशा से एक ऐसा मंच रहा है जहां युवाओं की परीक्षा ली जाती रही है। इस टूर्नामेंट के जरिए यह देखा जाता है कि खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुकूल हो सकता है या नहीं। इसके जरिए मुख्य टूर्नामेंट (2020 ओलम्पिक क्वालीफाइंग) से पहले उनका अनुभव बढ़ेगा।”
उन्होंने कहा, “इनमें से कुछ खिलाड़ियों ने एफआईएच चैंपियंस ट्रॉफी और 2018 मेन्स वर्ल्ड कप में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। हम उनसे दबाव पर काबू पाने के बारे में नियमित रूप से बात कर रहे हैं, विशेष रूप से उन परिस्थितियों में जब हम एक या दो गोल पीछे होते हैं। उनका अच्छा प्रदर्शन टोक्यो में होने वाले 2020 ओलम्पिक खेलों से पहले हमारी टीम के लिए फायदेमंद होगा।”
हरियाणा में जन्में सुरेंद्र ने हीरो इंडियन सुपर लीग (एचआईएल) में शानदार प्रदर्शन करने के बाद 2016 में राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई थी। इसके बाद से वह टीम का अहम हिस्सा रहे हैं। अपनी सफलता का श्रेय वह समकालीन खिलाड़ी रुपिंदर पाल सिंह को देते हैं।
सुरेंद्र ने कहा, “रुपिंदर पाल ने एचआईएल के दौरान मेरा मार्गदर्शन किया और हमेशा यह कहकर उत्साहित किया कि अगर मैं एचआईएल में अच्छा खेलता हूं तो मुझे राष्ट्रीय शिविर में जाने का मौका मिलेगा। जब मैं 2016 में सुल्तान अजलान शाह कप से पहले शिविर में आया, तो उन्होंने दबाव को संभालने में मेरी मदद की और यह बताया कि गलतियों के बावजूद हम मैच के दौरान कैसे आगे बढ़ सकते हैं।”
उनके लिए 2017 में एशिया कप बड़ा क्षण था। इस दौरान प्रशिक्षकों ने सुरेंद्र को बताया कि उन्हें अपनी तेजी, फुटवर्क और टैकलिंग को बेहतर करना होगा।
24 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, “एशिया कप के बाद, कोच ने मुझे बताया कि मैं कहां गलती कर रहा था और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं धीमा हूं और मुझे अपनी गति को सुधारने की आवश्यकता है। मैंने पिछले साल एफआईएच चैंपियंस ट्रॉफी से पहले इस पर बहुत काम किया और भारतीय टीम इस विश्वास के साथ काम करती है कि हमारे डिफेंस को ठोस होने की जरूरत है और कड़ा डिफेंस ही टूर्नामेंट जिताता है। यह विश्वास, जिम्मेदारी की भावना लाता है।”
सुरेंद्र ने आगामी टूर्नामेंट के बारे में कहा, “लक्ष्य स्वर्ण जीतना है लेकिन हम फाइनल की सोचकर टूर्नामेंट में नहीं उतरेंगे। हमें एक बार में एक कदम चलना पड़ेगा। हमारा पहला मैच जापान और फिर कोरिया के साथ है। अच्छी शुरुआत करना महत्वपूर्ण है।”