जयपुर: अजमेर दरगाह के कुछ खादिमों द्वारा हाल ही दिए गए विवादास्पद और भड़काऊ भाषणों ने लगभग 800 साल पुरानी अजमेर दरगाह की धर्म निरपेक्ष छवि को धूमिल किया है, जिसके चलते यहां आगंतुकों की संख्या कम हुई है. इसके बाद स्थिति को बहाल करने के लिए विश्वास बहाली के उपाय शुरू किए गए हैं.Also Read – गौहर चिश्ती की गिरफ्तारी के बाद हो रहे हैं खुलासे, उदयपुर जाकर कन्हैयालाल के हत्यारों से की थी मुलाकात
भडकाऊ भाषण इस्लाम का कथित अपमान करने के लिये सिर काटने और नूपुर शर्मा के समर्थन में दरगाह के बाजार में हिंदू दुकानदारों का आर्थिक बहिष्कार के बारे में थे. इसका असर यह हुआ कि दरगाह में आने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट हुई . होटलों और गेस्ट हाउसों में अग्रिम बुकिंग को लेागों ने रद्द करवा दिया. आसपास के इलाकों के बाजारों में भी लोगों की आवाजाही कम हो गई .
इसे देखते हुए हितधारकों ने अजमेर में हाल ही में एक सर्वधर्म शांति मार्च का आयोजन किया और दरगाह को इस माहौल से अलग रखने की चेतावनी जारी की. दरगाह की धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखने के लिये संयुक्त बैठक जैसे विश्वास निर्माण की उपाय शुरू किए.
आल इंडिया सूफी सज्जादनाशिन परिषद के अध्यक्ष नसीरूद्दीन चिश्ती ने बताया कि ”17 जून को अजमेर दरगाह के मुख्य द्वार से दिए गए भड़काऊ भाषण से अजमेर दरगाह की पवित्रता को ठेस पहुंची. यह कृत्य अत्यधिक निंदनीय था क्योंकि इस स्थान की एक पावित्रता है और सबको इसे बनाये रखना चाहिए .
दरगाह के एक खादिम मुसब्बिर ने कहा, ”इस तरह के कृत्य के कारण शुरू में दरगाह में लोगों की भीड़ पर असर पड़ा है लेकिन विश्वास बहाली के उपयों से स्थिति में सुधार हो रहा है.” दरगाह में दुनिया के कई हिस्सों से कई विदेशी राष्ट्र प्रमुख, राजनेता, राजनयिक, मशहूर हस्तियां, व्यापारी लोग आदि अक्सर आते रहते है.