उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अनुभवहीन और लक्ष्यहीन होने के कारण प्रदेश पीछे चला गया है। पूरे वर्ष घोषणाएं करते रहे, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो सका।
चौहान ने कहा कि वर्तमान सपा सरकार में किसानों के हालात पर बात की जाए तो किसानों को सिर्फ मायूसी के अलावा और कुछ हाथ नहीं लगा। किसानों की एक के बाद एक लगातार तीन फसलें आपदा के प्रकोप से बर्बाद होती रही हैं और चौथी बर्बाद होने के कगार पर है, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ रखकर सिर्फ तमाशा देख रही है।
उन्होंने कहा कि गन्ना किसान की बात की जाए तो वह मिल मालिकों और सरकार के बीच पिसता रहा उनके हाथ की कठपुतली बनके रह गया। एक तरफ जहां मिल मालिक गन्ना किसानों की मोटी रकम दबाए बैठे रहे, वहीं सरकार ने भी मिल मालिकों को ब्याज माफ करके राहत पहुंचाने काम किया है। गन्ना समर्थन मूल्य में तीन वर्षो में एक पाई तक नहीं बढ़ाई और गेहूं पर बोनस देने का वादा भी पूरा नहीं किया।
चौहान ने अखिलेश सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार की खूब किरकरी हुई। प्रदेश मंे आए दिन महिलाओं के साथ दरिंदगों ने हैवानियत का नंगा नाच किया, लेकिन प्रशासन मूक बधिर बना बैठा रहा और सूबे के मुखिया उन पर शिकंजा कसने के बजाय सिर्फ अधिकारियों को ताश के पत्तों की तरह फेटते नजर आए।
कानून व्यवस्था से लेकर लोकायुक्त प्रकरण हो, दुर्गाशक्ति नागपाल या फिर यादव सिंह के भ्रष्टाचार प्रकरण में भी सरकार को न्यायालय ने खूब फटकार लगाई, लेकिन सरकार ने अपनी बेशर्मी नहीं छोड़ी और अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का काम किया।
युवाओं और बेरोजगारांे को ठगने के लिए सरकार ने सरकारी नौकरी के लिए बनाए चारों आयोगों में जमकर भर्ती घोटाला किया। फलस्वरूप नौजवान सरकार और कोर्ट के बीच में फंस गया और मेधावी छात्रों को नौकरियों से वंचित होना पड़ा।
सरकार की बेरोजगारी भत्ता, लैपटॉप वितरण, कन्या विद्याधन योजना, गरीबों में कंबल वितरण जैसी योजनाओं के लिए आवंटित धन भ्रष्टाचारियों ने मिलकर डकार लिया। सरकार ने अपने निजी स्वार्थ के लिए खूब महोत्वस और आयोजन करके जनता की गाढ़ी कमाई का जमकर दुरुपयोग किया है।