हरिद्वार, 6 अक्टूबर- तीर्थ नगरी हरिद्वार स्थित विश्वविद्यालय में पांच दिनों से चल रहा चौथा अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव सोमवार को संपन्न हो गया। महोत्सव शामिल 20 देशों के 200 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने अपने विचार प्रकट किए और भावभीनी विदाई ली। विदेशी प्रतिनिधियों ने विश्वविद्यालय के दिव्य परिसर में छह दिन रहकर भारतीय संस्कृति, संस्कारों और परंपराओं को जाना तथा विश्वविद्यालय के विभिन्न क्रिया-कलापों से रूबरू हुए। उन्होंने योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यज्ञथैरेपी, पंचकर्म चिकित्सा के साथ-साथ गंगा की निर्मल धारा में बैठकर ध्यान का लुत्फ उठाया।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने विदाई ले रहे विदेशी मेहमानों को पुन: आने का निमंत्रण दिया और कहा कि यह आपका घर है, जब भी चाहें यहां आएं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अवसर बनाएं।
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि योग महोत्सव सबको अपने अंत:करण में झांकने और कुछ नया सीखने का अवसर देता है। उन्होंने कहा कि यहां कोई आडंबर नहीं है, बल्कि अपनत्व का भाव लिए प्रत्येक स्वयंसेवक भारतीय संस्कृति को जन-जन की संस्कृति और विश्व संस्कृति बनाने में जुटा है।
अमेरिका के विचारक पैट्रिक मैक्यूलम, भारत के पूर्व राजदूत सी.एम. भंडारी, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शरद पारधी और कुलसचिव संदीप कुमार सहित अन्य महानुभावों में भी मंच साझा किया।
अंतर्राष्ट्रीय योग सप्ताह के निदेशक स्वामी विशुद्धानंद ने योग, कला और अध्यात्म को त्रिवेणी महासंगम बताया और संस्कृति के उत्थान में इन तीनों का महत्व समझाया।
समारोह में सेवा इंटर नेशनल के श्याम परांडे, धार्मिक डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली आकांक्षा जोशी, मीडिया जगत से शालिनी सिंह सहित कई वरिष्ठ प्रतिभागियों ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की दो पुस्तकों ‘योग के प्रायोगिक प्रयोग’ एवं ‘प्राइमरी ऑफ योगा’ के रूसी संस्करण का विमोचन भी हुआ।
पांच दिवसीय योग महोत्सव में प्रतिदिन आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सत्र में विश्वभर से आए कई विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। इनमें अमेरिका के डॉ. रिवेरा, जर्मनी के कैस्टन ओरेमेन और पुर्तगाल के स्वामी अमृत सूर्यानंद भी शामिल थे।