रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने शीतकालीन सत्र में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिमालय की चोटियों पर तैनात भारतीय सेना के जवानों के लिए 4,47,000 स्की मास्क, 2,17,388 हाई एंकल बूट, 1,86,138 बुलेटप्रूफ जैकेट, 13,09,092 लेस वाले ब्राउन कैनवास रबर सोल शूज और 1,26,270 मच्छरदानियों की कमी है।
मेजर जनरल बीसी खंडूरी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है, “समिति को आश्चर्य है कि इस तरह के रोजमर्रा के उपयोग वाले सामानों की कमी होने दी गई है।”
रिपोर्ट में गोलाबारूदों की कमी की भी बात कही गई है।
समिति ने रिपोर्ट में अपने सुझावों में कहा है, “सेना में किसी भी वक्त जरूरी संख्या में और उच्च गुणवत्ता वाली युद्धक सामग्रियों की उपलब्ध रखने के लिए मंत्रालय को जरूरी कदम उठाने चाहिए। अन्यथा समिति की राय में देश के लिए लंबे समय तक युद्ध में बने रह पाना संभव नहीं हो पाएगा।”
2009 में मंजूर किए गए 1,86,138 बुल्लेटप्रूफ जैकेटों की खरीद नहीं हो पाने के बारे में समिति ने कहा कि यह संख्या गत पांच साल में और बढ़ गई होगी, क्योंकि इस बीच नए जवानों की बहाली हुई होगी और पुराने जैकेट फट गए होंगे।
स्वदेशी 5.56 एमएम इंसास रायफल के काम नहीं करने के बारे में समिति ने हैरानी जताया कि रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) इतने साल में एक भी वैश्विक स्तर का रायफल नहीं बना पाया है।
समिति ने इस पर भी आश्चर्य जताया है कि करीब 30 जवानों वाले माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प के गठन के लिए बजट में अलग से राशि आवंटित नहीं की गई है और इसके लिए राशि सेना के बजट से ही लिए जाने का प्रावधान किया है।
कॉर्प को पश्चिम बंगाल में तैनात किया जाएगा, जो चीन की ओर से होने वाले हमले का जवाब देगा। यह सेना का चौथा कॉर्प होगा। हिसार, अंबाला और भोपाल में ऐसे तीन स्ट्राइक कॉर्प पहले से हैं।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 10 जुलाई को पेश बजट में रक्षा आवंटन 12.43 फीसदी बढ़ा दिया गया है और इसे 2,29,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
यह 2013-14 मं आवंटित 2,03,672 करोड़ से 25,373 करोड़ रुपये अधिक है अैर 2,24,000 करोड़ रुपये के अंतरिम बजट से 5,000 करोड़ रुपये अधिक है।