Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 हिमाचल में पशु बलि पर रोक | dharmpath.com

Thursday , 28 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » फीचर » हिमाचल में पशु बलि पर रोक

हिमाचल में पशु बलि पर रोक

indexशिमला, 12 अक्टूबर – हिमाचल प्रदेश में धार्मिक प्रयोजनों की खातिर हर वर्ष सैकड़ों पशुओं को जान गंवानी पड़ती है। लेकिन इस वर्ष परिस्थितियां बिल्कुल उलट है। प्रदेश में उच्च न्यायालय द्वारा धार्मिक प्रयोजनों के लिए पशुओं की बलि पर रोक से सैकड़ों बकरे और भेड़ जान गंवाने से बच सकते हैं।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि उच्च न्यायालय ने यह रोक सदियों पुराने कुल्लू दशहरा के ठीक पहले लगाई। ऐसे में बेहद मुश्किल से स्थानीय अधिकारियों ने करदार संघ को देवताओं के सामने पशुओं की बलि न देने के लिए मनाया।

उपायुक्त राकेश कंवर ने आईएएनएस से कहा, “कुल्लू दशहरा के अंतिम दिन (9 अक्टूबर) किसी भी पशु की बलि नहीं दी गई। 350 वर्षो के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। वस्तुत: बलि की परंपरा को प्रतीकात्मक तौर पर नारियल फोड़कर पूरा किया गया।”

उन्होंने कहा कि चूंकि बलि परंपरा सदियों से चली आ रही है, ऐसे में इस संवेदनशील मुद्दे के बारे में लोगों को समझाना बेहद मुश्किल था, लेकिन सरकार लोगों को समझाने में सफल रही।

परंपरा के मुताबिक, कुल्लू दशहरा के अंतिम दिन एक भैंस, एक मेमना, एक मछली, एक केकड़ा और एक मुर्गे की बलि बेहद महत्वपूर्ण धार्मिक प्रयोजन है।

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि राज्य में बलि न देने के निर्णय पर करदार संघ बुद्धि दिवाली के दौरान भी अटल रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि बुद्धि दिवाली समारोह पहली अमावस्या से शुरू होती है।

यह मूलत: कुल्लू जिले के एनी और निर्माड इलाके, शिलाई, सिरमौर जिले के संग्रह और राजगढ़ इलाके तथा शिमला जिले के चोपल इलाके में मनाया जाता है।

इस पर्व की पहली रात को बलि देने के लिए हर ग्रामीण एक बकरे को सालभर पालता है और गांव के मंदिर में उसकी बलि दी जाती है।

बकरे के कटे हुए सिर को देवता पर चढ़ा दिया जाता है, जबकि बाकी शरीर को लोग घर ले जाते हैं और उसके मांस को पकाकर खाते हैं और आस-पड़ोस के लोगों में बांटते हैं।

इस पर्व के दौरान सैकड़ों पशुओं की बलि हर वर्ष दी जाती है।

हिमाचल में पशु बलि पर रोक Reviewed by on . शिमला, 12 अक्टूबर - हिमाचल प्रदेश में धार्मिक प्रयोजनों की खातिर हर वर्ष सैकड़ों पशुओं को जान गंवानी पड़ती है। लेकिन इस वर्ष परिस्थितियां बिल्कुल उलट है। प्रदेश शिमला, 12 अक्टूबर - हिमाचल प्रदेश में धार्मिक प्रयोजनों की खातिर हर वर्ष सैकड़ों पशुओं को जान गंवानी पड़ती है। लेकिन इस वर्ष परिस्थितियां बिल्कुल उलट है। प्रदेश Rating:
scroll to top