मंडी, 5 मार्च (आईएएनएस)। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी में सात-दिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव के लिए मंगलवार को सैकड़ों मंदिरों से देवी-देवताओं की लगभग 200 मूर्तियां लाई गई हैं।
महाशिवरात्रि यद्यपि देशभर में सोमवार को मनाई गई, लेकिन इस ऐतिहासिक नगर में महाशिवरात्रि एक दिन बाद मनाई गई।
यह उत्सव 1526 में अजबर सेन के शासन काल (1499-1534) में मंडी की स्थापना के समय शुरू हुआ था। उन्होंने नए नगर की स्थापना के लिए स्थानीय देवी-देवताओं को आमंत्रित किया था।
उत्सव के मुख्य आयोजक और उपायुक्त ऋगवेद ठाकुर ने कहा कि इस समय उत्सव में भाग लेने के लिए विभिन्न गावों से 216 देवी-देवताओं की मूर्तियों को आमंत्रित किया गया है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उत्सव का शुभारंभ किया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत उत्सव के अंतिम दिन 11 मार्च को यहां आएंगे।
पहले दिन का कार्यक्रम जलेब की अगुआई भगवान विष्णु के अवतार माने गए भगवान माधोराय और मुख्य देवता की अगुआई में किया गया।
इनके पीछे अन्य देवी-देवता रिवाजों के अनुसार सुसज्जित पालकियों में आए और यहां भूतनाथ मंदिर में उपस्थित हुए।
एक आयोजक ने कहा कि आठ मार्च और 11 मार्च को भी ऐसा ही उत्सव मनाया जाएगा।
मुख्य अतिथि भगवान कामरुनाग ढोल-नगाड़ों के बीच रंगारंग झांकी में अपने सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ रविवार को नगर में पहुंच गए थे।
चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 पर स्थित मंडी दुर्गम पहाड़ी संरचना में बने 80 मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें भूतनाथ, त्रिलोकीनाथ, जगन्नाथ, तारणा देवी और जालपा देवी के आदि प्रमुख मंदिर हैं।
मंडी के शासक भगवान शिव के भक्त थे।
मान्यता है कि अजबर सेन ने सपने में भगवान शिव को दूध देती हुई गाय देखी। उनका सपना सच हो गया, क्योंकि उनके अनुसार उन्होंने एक बार एक गाय को एक मूर्ति को दूध अर्पित करते हुए देखा था।
उन्होंने 1526 में भूतनाथ मंदिर का निर्माण कराया।
इसके साथ ही मंडी नगर की स्थापना हो गई और उन्होंने अपनी राजधानी यहां स्थानांतरित कर ली।