काबुल-पिछले साल अगस्त में सत्ता में आने के बाद से तालिबान ने धीरे-धीरे अपनी भेदभावपूर्ण नीतियों को पुनर्जीवित किया है।
आरएफई/आरएल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि अफगानिस्तान में अब विश्वविद्यालयों, सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक परिवहन में पुरुष और महिलाओं को अलग-अलग करने का फरमान जारी किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकार समूहों ने तालिबान पर अफगानिस्तान में लैंगिक रंगभेद थोपने का आरोप लगाया है। लड़कियों और महिलाओं को उनके बुनियादी अधिकारियों से वंचित किया जा रहा है।
तालिबान ने हाल के महीनों में महिलाओं को मिले अधिकारों को नाटकीय रूप से वापस ले लिया है, जिसमें अधिकांश लड़कियों के माध्यमिक विद्यालयों को बंद करना और महिलाओं के रोजगार के अधिकांश रूपों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है और कुछ मामलों में महिलाएं गायब भी हो चुकी हैं।
आरएफई/आरएल ने बताया कि तालिबान में सद्गुण को बढ़ावा देने और दुराचार की रोकथाम मामलों के मंत्रालय ने इस महीने की शुरूआत में स्वास्थ्य मंत्रालय को एक पत्र भेजकर पुरुष और महिला कर्मचारियों को अलग-अलग करने का आदेश दिया था।
पत्र में कहा गया है, पुरुषों और महिलाओं के लिए कार्यालय अलग-अलग होने चाहिए।
मंत्रालय, जो तालिबान के इस्लामी कानून की कट्टरपंथी व्याख्या का प्रवर्तक है, ने यह भी चेतावनी दी कि इस्लामी हिजाब का पालन नहीं करने वाली महिला रोगियों को स्वास्थ्य देखभाल से वंचित किया जाना चाहिए।
तालिबान ने शुरू में महिलाओं को काम पर नहीं लौटने का आदेश दिया, लेकिन बाद में इसने महिला स्वास्थ्य कर्मियों को क्लीनिकों और अस्पतालों में वापस बुला लिया, हालांकि कई अपने काम को फिर से शुरू करने से डर रहीं थीं।
आरएफई/आरएल के अनुसार, अधिकार समूहों का कहना है कि लिंग अलगाव (पुरुष और महिलाओं को अलग-अलग करना) ने महिलाओं और लड़कियों को स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच स्थापित करने में बाधाएं पैदा की हैं। कई सुविधाओं में, रोगियों का इलाज केवल एक ही लिंग के स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा किया जाता है।