नई दिल्ली- सांप्रदायिक दंगों के कुछ दिन बाद दिल्ली के त्रिलोकपुरी में 30 हिंदू परिवारों ने चार नवंबर को मुहर्रम जुलूस की अगुआई करने का फैसला किया है। उनके इस कदम से सांप्रदायिक सौहार्द की एक नई मिसाल पेश होगी। हिंदू स्वयंसेवकों को चार मुहर्रम जुलूसों में विभाजित किया जाएगा। जिन्हें पूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाके में तैनात किया जाएगा। 23 अक्टूबर को भड़के तीन दिनों के इस दंगे में 60 लोग घयल हुए थे, जिनमें पुलिस कर्मी भी शामिल हैं।
मुहर्रम मुस्लिमों द्वारा पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन इब्न अली की करबला के युद्ध में मौत के शोक के रूप में मनाया जाता है।
त्रिलोकपुरी के निवासी और अमन कमेटी के सदस्य रियाजुद्दीन सैफी ने आईएएनएस को बताया, “करीब 30 हिंदू स्वयंसेवी मुहर्रम के सभी चार जुलूसों में भाग लेंगे। यह जुलूस ब्लाक नंबर 27 से शुरू होगा और त्रिलोकपुरी के कोटला में प्रतीक के तौर पर बनाए गए करबला में खत्म होगा।”
उन्होंने बताया, “हर जुलूस में तकरीबन 400 लोगों के भाग लेने की संभावना है। हिंदू और मुस्लिम स्वंयसेवी किसी भी अप्रिय घटना पर नजर रखेंगे और पुलिस को सूचना देंगे।”
दिल्ली पुलिस ने मुहर्ररम को शांति से मनाए जाने के सभी इंतजाम कर लिए हैं।
संयुक्त पुलिस आयुक्त ने आईएएनएस को बताया, “हमें हिंदू स्वंसेवियों की सूची मिली है जो यह सुनिश्चित करेंगे कि मुहर्रम का जुलूस शांतिपूर्वक निकले।”
उन्होंने बताया, “कॉलोनी में समरसता बनाए रखने के लिए सभी एहतियाती उपाय कर लिए गए हैं।”
एहतियात के तौर पर पुलिस ने धारदार हथियार जैसे, ब्लेड, चेन, चाबुक आदि को जुलूस में ले जाने पर पाबंदी लगा दी है। इन हथियारों का इस्तेमाल मुस्लिम लोग धार्मिक रूप से खुद को शारीरिक कष्ट देने में करते हैं। यह इमाम हुसैन की मौत का शोक व्यक्त करने का एक तरीका है।
एक किलोमीटर के मुहर्रम जुलूस के लिए 200 अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए हैं।